ममता कुलकर्णी के किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर
Prayagraj : ममता कुलकर्णी द्वारा किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर है. ममता ने कहा,मैं किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं. मैं बचपन से ही साध्वी रही हूं और आगे भी रहूंगी. जान लें कि ममता ने हाल ही में महाकुंभ में अपना पिंड दान किया […]
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Prayagraj : ममता कुलकर्णी द्वारा किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दिये जाने की खबर है. ममता ने कहा,मैं किन्नर अखाड़े के महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा दे रही हूं. मैं बचपन से ही साध्वी रही हूं और आगे भी रहूंगी. जान लें कि ममता ने हाल ही में महाकुंभ में अपना पिंड दान किया था. इसके बाद उन्हें किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर बनाया गया था. लेकिन इसके बाद विवाद शुरू हो गया था. इस विवाद के बाद ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर पद से इस्तीफा देने की घोषणा की है.
ममता कुलकर्णी ने पूरे रीति रिवाज से किन्नर अखाड़े में दीक्षा ली थी
जान लें कि प्रयागराज महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने पूरे रीति रिवाज से किन्नर अखाड़े में दीक्षा ली थी. इसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर बना दिया गया था. ममता ने पिंडदान किया, संगम में स्नान किया, फिर पट्टाभिषेक के बाद वे महामंडलेश्वर बना दी गयी. ममता कुलकर्णी के महामंडलेश्वर बनते ही बाबा रामदेव से लेकर अखाड़े के ही कई संतों-लोगों ने आपत्ति जताना शुरू कर दिया. कहा गया था कि कल तक जो सांसारिक सुखों मे लिप्त थे, अचानक एक ही दिन में संत बन गये और महामंडलेश्वर जैसी उपाधि ले रहे हैं.
महामंडलेश्वर बनाने के लिए कड़ी परीक्षा ली गयी थी
महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता कुलकर्णी ने बताया था कि इस पद के लिए उसकी कड़ी परीक्षा ली गयी थी. कहा कि जगतगुरुओं ने उनसे कठिन सवाल किये थे. मेरी कठिन तपस्या से मेरे उत्तरों से वे संतुष्ट थे. मुझसे आग्रह कर रहे थे कि महामंडलेश्वर बनो. ममता ने महामंडलेश्वर पद मिलने पर कहा था. यह अवसर(महाकुंभ) 144 सालों बाद आया है, इसी में मुझे महामंडलेश्वर बनाया गया है. यह केवल आदिशक्ति ही कर सकती हैं.
किन्नर अखाड़ा इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं, ये स्वतंत्र अखाड़ा है
ममता ने कहा, मैंने किन्नर अखाड़ा इसलिए चुना, क्योंकि यहां कोई बंदगी नहीं है, ये स्वतंत्र अखाड़ा है. जीवन में सब चाहिए आपको. एंटरटेनमेंट भी चाहिए. हर चीज की जरूरत होनी चाहिए. ध्यान ऐसी चीज है, जो भाग्य से ही प्राप्त हो सकता है. सिद्धार्थ (गौतम बुद्ध) ने बहुत कुछ देखा था फिर उनमें बदलाव आया.बताया जाता है कि कि ममता ने 1996 में ध्यात्म का रास्ता चुन लिया था
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