राहुल गांधी के निशाने पर SEBI चीफ, कहा, बुच है तो गिरोह सुरक्षित है, इशारा किधर?
NewDelhi : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को निशाने पर लेते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि कॉरपोरेट दिग्गजों का गिरोह भारत के आर्थिक ढांचे को भीतर से खोखला कर रहा है. आरोप लगाया कि जिन पर देश के हितों की रक्षा का जिम्मा है […] The post राहुल गांधी के निशाने पर SEBI चीफ, कहा, बुच है तो गिरोह सुरक्षित है, इशारा किधर? appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बाजार नियामक सेबी की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच को निशाने पर लेते हुए शुक्रवार को आरोप लगाया कि कॉरपोरेट दिग्गजों का गिरोह भारत के आर्थिक ढांचे को भीतर से खोखला कर रहा है. आरोप लगाया कि जिन पर देश के हितों की रक्षा का जिम्मा है वे ही इसमें उनका साथ दे रहे हैं.
Buch Hai Toh Syndicate Safe Hai pic.twitter.com/hPtnavSNHO
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 15, 2024
राहुल गांधी ने कहा कि माधबी बुच घोटाला सिर्फ भेदिया करोबार नहीं है बल्कि यह हितों के सीधे टकराव का मामला है, जहां शक्तिशाली नियामक का उन्हीं कंपनियों के साथ संबंध हैं, जिन पर निगरानी की जिम्मेदारी उन्हीं (नियामकों) की है. राहुल गांधी ने यह टिप्पणी यूट्यूब पर एक वीडियो के साथ पोस्ट की है
सेबी की मुखिया माधबी बुच आरोपों को खारिज करती रही हैं
यह वीडियो उस श्रृंखला का हिस्सा है जिसमें वह और कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा बुच के खिलाफ हितों के टकराव के विभिन्न आरोपों पर चर्चा करते हैं. इस वीडियो और आरोपों पर बुच की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी. सेबी की मुखिया बुच पर हितों के टकराव के आरोप हैं. हालांकि, वह अभी तक अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करती रही हैं. राहुल गांधी ने एक्स पर भी वीडियो साझा करते हुए और कहा, बुच है तो गिरोह सुरक्षित है.
कॉरपोरेट दिग्गजों का गिरोह भारत के आर्थिक ढांचे को खोखला कर रहा है
राहुल गांधी ने अपने पोस्ट में कहा, कॉरपोरेट दिग्गजों का एक गिरोह भारत के आर्थिक ढांचे को भीतर से खोखला कर रहा है और जिनपर देश के हितों की रक्षा करने का जिम्मा है वे ही इस गिरोह का साथ दे रहे हैं. उन्होंने कहा, माधबी पुरी बुच घोटाला सिर्फ भेदिया कारोबार का मामला नहीं है बल्कि यह प्रत्यक्ष रूप से हितों के टकराव का मामला है जहां शक्तिशाली नियामक उन्हीं कंपनियों के साथ संलिप्त हैं जिनकी निगरानी की जिम्मेदारी उन पर है.
कॉरपोरेट लाभ को प्राथमिकता देने की एक समन्वित योजना है
उन्होंने कहा, इस एपिसोड में हमने यह दिखाने का प्रयास किया है कि सेबी नेतृत्व किस गलत तरीके से काम कर रहा है. कैसे कॉरपोरेट जगत की बड़ी कंपनियों के साथ वित्तीय संबंध और किराये की व्यवस्था ने नियामक को उनके ‘सहयोगियों’ में बदल दिया है.राहुल गांधी ने कहा कि यह महज अनदेखी नहीं है बल्कि खामियों का फायदा उठाने, नियमों को विकृत करने तथा सार्वजनिक हित की अपेक्षा कॉरपोरेट लाभ को प्राथमिकता देने की एक समन्वित योजना है, जबकि आम भारतीय इसकी कीमत चुका रहे हैं.
कांग्रेसअनैतिक लेन-देन तथा यह उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष ने कहा, हम इन अनैतिक लेन-देन तथा यह उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि किस प्रकार भारत की संस्थाओं को विशेषाधिकार प्राप्त मित्रों की रक्षा के लिए हथियार बनाया गया है. यह केवल एकाधिकार के बारे में नहीं है; यह लोकतंत्र, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा तथा प्रत्येक भारतीय की आवाज को सुरक्षित रखने के बारे में है….छह मिनट से अधिक के वीडियो में खेड़ा और गांधी को एक विमान में साथ यात्रा करते हुए दिखाया गया है और खेड़ा गांधी को बुच के खिलाफ हितों के टकराव के विभिन्न आरोपों के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं. खेड़ा ने बताया कि किस प्रकार कांग्रेस ने इस दावे को उजागर किया कि बुच के सेबी में शामिल होते ही अगोरा एडवाइजरी प्राइवेट लिमिटेड तुरंत निष्क्रिय हो गयी.
वॉकहार्ट भेदिया कारोबार सहित कई मामलों में सेबी की जांच के दायरे में है.
खेड़ा ने गांधी को बताया कि अब भी उनकी इसमें 99 प्रतिशत हिस्सेदारी है और कंपनी ने महिंद्रा एंड महिंद्रा सहित अन्य को परामर्श/सलाह सेवाएं प्रदान की हैं. उन्होंने बातचीत के क्रम में गांधी को यह भी बताया कि बुच ने कथित तौर पर चीनी कोष में निवेश भी किया था. खेड़ा ने गांधी को बताया कि बुच ने 2018 से 2024 तक वॉकहार्ट लिमिटेड’ की सहयोगी कंपनी कैरोल इन्फो सर्विसेज लिमिटेड को एक संपत्ति किराये पर दी थी. वॉकहार्ट भेदिया कारोबार सहित कई मामलों में सेबी की जांच के दायरे में है.
इस क्रम में राहुल गांधी ने महाराजा का वर्गीकरण किया. कहा कि क्या होता है महाराजा? जवाब दिया कि महाराजा वह होता है जिसका संस्थानों पर पूर्ण नियंत्रण होता है, मनमानी शक्ति होती है, कानूनी और खुफिया तंत्र को नियंत्रित करता है. वह यह सब लोगों के प्रतिनिधि के रूप में नहीं, बल्कि अपने हित में करता है. जान लें कि वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी और अरबपति गौतम अडानी के बीच मुलाकात की तस्वीरें दिखाई गयी हैं.
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