सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज की समीक्षा – पुलिस कमिश्नर और जस्टिस वर्मा के दावे अलग-अलग

Shakeel Akhter Ranchi: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आगलगी और उसके बाद वहां से बोरियों में रखे जले नोट मिलने की घटना ने ज्यूडिशियल सिस्टम को हिला कर रख दिया है. केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं.  हमने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी दस्तावेजों […]

Mar 24, 2025 - 17:30
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सुप्रीम कोर्ट के दस्तावेज की समीक्षा – पुलिस कमिश्नर और जस्टिस वर्मा के दावे अलग-अलग

Shakeel Akhter

Ranchi: दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर आगलगी और उसके बाद वहां से बोरियों में रखे जले नोट मिलने की घटना ने ज्यूडिशियल सिस्टम को हिला कर रख दिया है. केंद्र सरकार, दिल्ली पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं. 

हमने सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जारी दस्तावेजों की समीक्षा की. समीक्षा से यह स्पष्ट होता है कि पुलिस कमिश्नर और जस्टिस वर्मा के दावे अलग-अलग हैं.

जस्टिस वर्मा के बंगले के स्टोर रूम में मिले कथित नोटों के मामले में संबंधित न्यायाधीश और पुलिस कमिश्नर के दावे अलग अलग है. पुलिस कमिश्नर से स्टोर रूम में 4-5 अधजली बोरियों में नोट होने की सूचना दी. 

दूसरी तरफ जस्टिस यशवंत वर्मा ने सुप्रीम द्वारा पूछे गये सवालों के जवाब में यह कहा है कि उन्होंने लौटने के बाद स्टोर रूम को देखा. उसमें अधजले नोट नहीं मिलने और 15 मार्च की सुबह कमरे से कुछ भी नहीं हटाए जाने की बात कही है. 

उन्होंने इस पूरे प्रकरण को दिसंबर 2024 में सोशल मीडिया पर अपने खिलाफ हुए दुष्प्रचार का हिस्सा बताया है. उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि अगर स्टोर रूम में अधजले नोट मिले थे तो उसे जब्त क्यों नहीं किया गया.

14 मार्च की रात आग लगने की घटना के बाद दिल्ली के पुलिस कमिश्नर ने 15 मार्च को हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार को इसकी सूचना दी. पुलिस कमिश्नर ने इससे संबंधित लिखित रिपोर्ट भी भेजी. 

रिपोर्ट में यह लिखा कि 14 मार्च की रात 11.43 बजे पीसीआर के माध्यम से सूचना मिली 30 तुगलक क्रिसेंट कोठी के अंदर आग लगी है. यह कोठी माननीय न्यायाधीश श्यशवंत वर्मा को आवंटित है. इसमें तुरंत दमकल की दो गाड़ियों को मौके पर बुलाया गया. 

आग कोठी के एक कोने में चहारदीवारी से लगे हुए कमरे में लगी थी. इसका इस्तेमाल स्टोर रूम के रूप में किया जाता था. इन्हीं में से एक कमरे में कोठी में तैनात सुरक्षाकर्मी रहते हैं. आग पर तुरंत काबू पा लिया गया. पहली नजर में आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है. 

कमरे में आग के काबू में आने के बाद 4-5 अधजली बोरियां मिली हैं. इसके अंदर भारतीय मुद्रा भरे होने के अवशेष मिले हैं. 

पुलिस कमिश्नर से हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को 16 मार्च को दूसरी रिपोर्ट भेजी. इसमें घर के सुरक्षा गार्ड के हवाले से यह कहा गया कि कल सुबह कमरे से मलबा और आंशिक रूप से जले हुए अन्य सामान को हटा दिया गया था. 

इस बात की सूचना मिलने के बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपने रजिस्ट्रार को घटनास्थल पर जा कर स्थिति का जायजा लेने और रिपोर्ट देने का निर्देश दिया. 

इस निर्देश पर उनके सचिव घटनास्थल पर पहुंचे और जस्टिस वर्मा के निजी सचिव को बुलाया. जस्टिस वर्मा के साथ वे लोग उस कमरे में गये जिसमें आग लगी थी. इसके बाद एक रिपोर्ट तैयार कर उन्हें सौंपा गया. 

इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया कि जिस कमरे में आग लगी थी, उसमे घर की बेकार चीजों को रखा जाता था. कमरा सभी के लिए सुलभ रहे इसलिए बंद नहीं किया जाता था. 

रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख किया गया था कि कमरा पूरी तरह अंधेरा था. कमरे की दीवारों पर दरारें थीं.

मोबाईल फोन की रौशनी में देखने पर पाया गया कि आग लगने की वजह से कमरे की दीवार काली हो चुकी है. कुछ अधजली चीजें वहां मिली. वहां 8-10 मिनट रहने का बाद वे लोग कमरे से बाहर आ गये. 

रजिस्ट्रार सह सचिव ने अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी. इसके बाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी. 

इस रिपोर्ट में उन्होंने लिखा कि 17 मार्च को जस्टिस वर्मा ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से हाईकोर्ट के गेस्ट हाउस में सुबह 8.30 बजे मुलाकात की. जस्टिस वर्मा ने उनसे कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी उस कमरे में घर की बेकार चीजें रखी जाती हैं. 

इस कमरे तक नौकरों, माली और कभी-कभी सीपीडब्ल्यूडी के कर्मचारियों की पहुंच है. जस्टिस वर्मा ने यह भी कहा कि घटना के समय वह भोपाल में थे. उन्हें आग लगने की सूचना उनकी बेटी ने दी थी. 

जस्टिस वर्मा ने उन्हें बताया कि कमरे में काला जला हुआ सामान पड़ा है. इसके बाद उन्होंने पुलिस कमिश्नर द्वारा वाट्सएप पर भेजी गयी तस्वीरें और वीडियो उन्हें दिखाया. इसके बाद उन्होंने अपने खिलाफ साजिश की आशंका जतायी. 

हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पूरे प्रकरण की जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सौंपी. इसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को कुछ तस्वीरें, वीडियो और दो मैसेज भेजने का उल्लेख किया. 

साथ ही यह भी लिखा कि उनके द्वारा की गयी प्रारंभिक जांच और पुलिस कमीश्नर द्वारा दी गयी सूचनाओं के आलोक में उन्हें ऐसा नहीं लगता है कि बंगले में रहने वालों के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति की पहुंच स्टोर रूम तक हो सकती है. 

हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मामले की गंभीरता को देखते हुए उन्होंने इसकी गहन जांच की अनुशंसा की.

हाइकोर्ट के न्यायाधीश की रिपोर्ट मिलने के बाद मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस वर्मा से तीन बिंदुओं पर जवाब तलब करने का निर्देश दिया.

तीन सवाल

  • 1- जस्टिस वर्मा के परिसर से मिले रुपयों को वह कैसे देखते हैं

  • 2- स्टोर रूम में मिले रुपयों के स्रोत की जानकारी दें.

  • 3- किस व्यक्ति ने 15 मार्च की सुबह कमरे से अध जले नोटों और सामग्रियों को हटाया

जस्टिस वर्मा का जवाब

  • जस्टिस वर्मा ने इन बिंदुओं का जवाब देते हुए रुपयों से अपने या किसी पारिवारिक सदस्यों का संबंध होने से इनकार किया है.

  • 15 मार्च की सुबह स्टोर रुम से कुछ भी हटाने की बाद से इनकार किया है. उनका दावा है कि सभी चीजें अब भी स्टोर रूम में मौजूद हैं.

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