50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी व अन्य कारणों से चिकित्सकों के पास नहीं जा पाते : रिपोर्ट

 New Delhi : देशभर के शहरी क्षेत्रों में किये गये सर्वेक्षण में शामिल करीब 50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से चिकित्सकों के पास नहीं जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62 प्रतिशत से अधिक है. देशभर में बुजुर्गों पर किये गये सर्वेक्षण पर आधारित एक […]

May 10, 2024 - 17:30
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50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी व अन्य कारणों से चिकित्सकों के पास नहीं जा पाते  : रिपोर्ट
50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी व अन्य कारणों से चिकित्सकों के पास नहीं जा पाते : रिपोर्ट

 New Delhi : देशभर के शहरी क्षेत्रों में किये गये सर्वेक्षण में शामिल करीब 50 फीसदी बुजुर्ग आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से चिकित्सकों के पास नहीं जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62 प्रतिशत से अधिक है. देशभर में बुजुर्गों पर किये गये सर्वेक्षण पर आधारित एक नयी अध्ययन रिपोर्ट में यह दावा किया गया है.
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घर की दहलीज पर स्वास्थ्य सुविधा मिलनी चाहिए 

गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) एजवेल द्वारा किये गये अध्ययन का नमूना आकार(सैंपल साइज) 10,000 था. संगठन ने हाल ही में सर्वेक्षण के दौरान प्राप्त कुछ प्रतिक्रियाओं के उदाहरण साझा किये. इसमें कहा गया है कि आगरा निवासी 78 वर्षीय प्रभाकर शर्मा, जो एक दशक से गठिया से पीड़ित हैं, उन्हें नियमित जांच के लिए अस्पतालों में जाना परेशान करने वाला और कठिन लगता है, जो अक्सर उन्हें आवश्यक चिकित्सकीय उपचार को स्थगित करने के लिए मजबूर करता है. उन्होंने एनजीओ को बताया, अगर घर की दहलीज पर स्वास्थ्य सुविधा मिलती या मोबाइल स्वास्थ्य जांच सेवाएं होतीं… तो यह मेरी उम्र के लोगों के लिए मददगार होता.’अध्ययन के अनुसार, लुधियाना में 72 वर्षीय राजेश कुमार को एक अलग स्थिति का सामना करना पड़ता है.

स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक लागत एक बाधा है

अध्ययन में बताया गया है कि पूरी तरह से अपनी सेवानिवृत्ति पेंशन पर निर्भर कुमार के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की अत्यधिक लागत एक बाधा है. अध्ययन रिपोर्ट में राजेश के हवाले से कहा गया, अगर मेरे पास कोई स्वास्थ्य बीमा होता… तो शायद मैं बेहतर चिकित्सा सेवा का खर्च उठा सकता था. एनजीओ ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में सर्वेक्षण में शामिल 48.6 प्रतिशत बुजुर्गों ने बताया कि आर्थिक तंगी और परिवहन संबंधी चुनौतियों के कारण नियमित रूप से वे चिकित्सकों के पास नहीं जाते और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए यह आंकड़ा 62.4 प्रतिशत था. शहरी क्षेत्रों में, 36.1 प्रतिशत बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने कथित तौर पर दावा किया कि वे आवश्यकता पड़ने पर अस्पतालों और चिकित्सकों के पास जाते हैं. इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 24 प्रतिशत उत्तरदाता अकेले रहते थे.

वित्तीय तंगी हालत को और जटिल बना देती है

एनजीओ ने कहा कि यह अलगाव स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को बढ़ाता है और समुदाय आधारित पहलों की आवश्यकता को रेखांकित करता है. इसमें कहा गया है कि स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां सार्वजनिक एवं सामाजिक जीवन में बुजुर्गों की भागीदारी में सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आती हैं, वित्तीय तंगी हालत को और जटिल बना देती है. एनजीओ ने कहा कि अप्रैल 2024 में किये गये सर्वेक्षण में भारत के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 510 स्वयंसेवकों द्वारा कुल 10,000 उत्तरदाताओं का अध्ययन किया गया. इनमें से 4,741 लोग ग्रामीण क्षेत्रों से और 5,259 लोग शहरी क्षेत्रों से हैं. एनजीओ ने कहा, सर्वेक्षण के आधार पर 38.5 प्रतिशत से अधिक बुजुर्ग उत्तरदाताओं ने दावा किया कि उनकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति खराब या बहुत खराब है.

सर्वेक्षण में शामिल 23.4 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति को सामान्य कहा जा सकता है. अध्ययन में कहा गया है कि सर्वेक्षण में शामिल लगभग 54.6 प्रतिशत बुजुर्ग उत्तरदाताओं के लिए उनकी समग्र आर्थिक स्थिति खराब या बहुत खराब है, 23.3 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दावा किया कि उनकी वित्तीय स्थिति को औसत से बेहतर कहा जा सकता है.

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