Ranchi : राज्य के 446 सरकारी +2 हाई स्कूलों में कार्यरत व्यवसायिक प्रशिक्षकों को बेरोजगार करने की तैयारी की जा रही है. व्यवसायिक प्रशिक्षकों की संख्या 892 है. प्रशिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 2015-16 में कांट्रैक्ट पर की गयी थी. झारखंड शिक्षा परियोजना कांट्रैक्ट पर नियुक्ति के लिए एजेंसी नियुक्त करती है. अभी 11 कंपनियां राज्य के सभी प्लस-टू स्कूलों में प्रशिक्षकों को नियुक्त करती है. इन प्रशिक्षकों के पास नौ सालों का अनुभव है. परियोजना ने अब दूसरी कंपनियों को प्रशिक्षकों की नियुक्ति का काम दे दिया है. जिसके बाद सभी प्रशिक्षकों को ई-मेल के जरिये सूचना दी गयी है कि उनका कांट्रैक्ट खत्म हो चुका है. लिहाजा वह अब नौकरी पर नहीं है.
व्यवसायिक प्रशिक्षक संघ ने सरकार से न्याय की मांग की
इस मामले को लेकर व्यवसायिक प्रशिक्षक संघ ने आंदोलन की तैयारी कर ली है. साथ ही चेतावनी भी दी है कि अगर उन्हें बेरोजगार किया गया तो सभी प्रशिक्षक परियोजना कार्यालय के सामने आत्मदाह करने को मजबूर होंगे. संघ की कहना है कि युवाओं के साथ-साथ बच्चों के भविष्य को भी खराब किया जा रहा है. हर दो साल में डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन, उम्र व इंटरव्यू परीक्षा लेने के नाम पर प्रशिक्षकों को हटाया जा रहा है. जब पहली बार नियुक्ति के समय परीक्षा ली ही गयी तो हर दो साल बाद एग्जाम लेने का कारण समझ नहीं आता. संघ ने आरोप लगाया है कि इस तरह की प्रक्रिया को अपनाकर परियोजना और आउटसोर्स कंपनी भ्रष्टाचार करती है. संघ के अध्यक्ष जितेंद्र कुमार, सचिव मिथिलेश पांडेय, उपाध्यक्ष श्रवण मेहता, उप सचिव रोजलिन स्नेहलता तिग्गा सहित अन्य ने प्रेस बयान जारी कर मांग की है कि इस मामले में सरकार उनके साथ न्याय करे.
जानें क्या-क्या प्रशिक्षण देते हैं व्यवसायिक प्रशिक्षक
- मल्टी स्किल
- मीडिया इंटरटेमेंट
- हेल्थ केयर
- ग्राफिक
- वेब डिजाइनिंग
- फूड टेक्नोलॉजी
- कॉस्मेटोलॉजी
- ऑटोमोटिव रिपेयर
- प्लंबिंग
- एयरकंडिशनिंग
चल रहा लूट का खेल !
झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा व्यवसायिक प्रशिक्षण कोर्स करवाया जाता है. परियोजना ही यह तय करती है कि किस कंपनी को कंसल्टेंट दिया जाये, जो प्रशिक्षकों को नियुक्त करेंगे. अभी राज्य भर में प्रशिक्षकों को नियुक्त करने का काम 11 कंपनियों को मिला था. करीब दो माह पहले सभी प्रशिक्षकों को एक ई-मेल भेजा गया है. जिसमें कहा गया है कि आपका कांट्रैक्ट खत्म हो चुका है. कंपनियों ने फिर से नयी वेकेंसी निकाली है. नये स्तर से फॉर्म भरा जायेगा और फिर से परीक्षा देनी होगी. यह काम हर दो-तीन साल में किया जाता है. उन्हीं प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जाती है, जो पहले से नियुक्त हैं. लेकिन हर दो-तीन साल में दोबारा नियुक्ति किये जाने पर प्रशिक्षकों को हर बार परीक्षा देना पड़ती है. बताया जाता है कि दोबारा नियुक्ति के नाम पर पर्दे के भीतर वसूली का खेल चलता है. लाख-दो लाख की मांग की जाती है. परियोजना निदेशालय के तत्कालीन निदेशक सैलेश कुमार चौरसिया ने वर्ष 2018 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें साफ कहा गया था कि सिर्फ कंपनी बदलेगी, प्रशिक्षक नहीं. लेकिन इस आदेश का पालन ही नहीं होता.