SEBI की पूर्व प्रमुख माधबी बुच ने PMLA अदालत के FIR दर्ज करने के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी

Mumbai : बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज सोमवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के दो अधिकारियों की याचिका पर तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हुए मंगलवार को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. बता दें कि माधबी पुरी बुच ने शनिवार को भ्रष्टाचार […]

Mar 3, 2025 - 17:30
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SEBI की पूर्व प्रमुख माधबी बुच ने PMLA अदालत के FIR दर्ज करने के आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी

Mumbai : बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज सोमवार को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व प्रमुख माधबी पुरी बुच और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) के दो अधिकारियों की याचिका पर तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हुए मंगलवार को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया है. बता दें कि माधबी पुरी बुच ने शनिवार को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, मुंबई को उनके खिलाफ FIR दर्ज करने का आदेश देने वाले विशेष PMLA अदालत के आदेश को चुनौती दी है. माधबी बुच, BSE के निदेशक सुंदररामन राममूर्ति और BSE के जनहित निदेशक प्रमोद अग्रवाल ने एकल जज जस्टिस शिवकुमार दिघे के समक्ष आज याचिका दायर की.

माधवी की ओर से सॉलिसिटर जनरल  मेहता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए

इन लोगों ने बॉम्बे हाईकोर्ट से माधबी, अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश वार्ष्णेय (SEBI के तत्कालीन सदस्य) सहित अग्रवाल और राममूर्ति के खिलाफ शनिवार को विशेष PMLA अदालत द्वारा पारित आदेश रद्द करने की गुहार लगाई है. माधवी की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुए. उन्होंने प्रमोद अग्रवाल तथा राममूर्ति की ओर से सीनियर एडवोकेट अमित देसाई के साथ उनकी याचिका का उल्लेख किया. सुनवाई के बाद जस्टिस दिघे ने मामले की तत्काल सुनवाई की अनुमति देते हुए इसे मंगलवार को सूचीबद्ध करने पर सहमति जताई.

स्पेशल जज एस ई बांगर ने  टिप्पणी की, शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है

शनिवार को स्पेशल जज एस ई बांगर ने पत्रकार सपन श्रीवास्तव द्वारा दायर आवेदन पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि शिकायत में संज्ञेय अपराध का खुलासा हुआ है. इसलिए ACB को भारतीय दंड संहिता (IPC), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (PC Act) तथा SEBI Act के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत FIR दर्ज करने तथा 30 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया जाता है. जज ने स्पष्ट किया कि उन्होंने शिकायत में दर्ज अपराध की गंभीरता पर विचार करते हुए दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 156(3) के तहत जांच का आदेश जारी किया है.

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