अर्थशास्त्री सम्मेलन : पीएम मोदी ने कहा, हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा की दिशा में काम कर रहे
NewDelhi : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत एक खाद्य अधिशेष देश बन गया है और वह वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है. खाद्य अधिशेष से मतलब देश में उपभोग से ज्यादा खाद्यान्न उपलब्ध होने से है. भारत में 65 वर्षों […] The post अर्थशास्त्री सम्मेलन : पीएम मोदी ने कहा, हम वैश्विक खाद्य सुरक्षा की दिशा में काम कर रहे appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत एक खाद्य अधिशेष देश बन गया है और वह वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है. खाद्य अधिशेष से मतलब देश में उपभोग से ज्यादा खाद्यान्न उपलब्ध होने से है. भारत में 65 वर्षों के बाद आयोजित किये जा रहे कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन करने के बाद प्रधानमंत्री ने एक सभा को संबोधित किया.
VIDEO | “India is as ancient as our beliefs and experience about agriculture and food. Science has been given priority in Indian agricultural tradition. Today, there is so much concern in the world about food and nutritions. But, thousands of years ago, it has been said in our… pic.twitter.com/loVKWLQdYg
— Press Trust of India (@PTI_News) August 3, 2024
देश का आम बजट 2024-25 टिकाऊ खेती पर केंद्रित है
पीएम ने कहा, देश का आम बजट 2024-25 टिकाऊ खेती पर केंद्रित है. मोदी ने कहा कि पिछली बार जब भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की थी, तब उसे आजादी मिले ज्यादा समय नहीं हुआ था और वह दौर देश में कृषि एवं खाद्य सुरक्षा के लिहाज से बेहद चुनौतीपूर्ण दौर था.
उन्होंने कहा, ‘भारत अब एक खाद्य अधिशेष देश है. यह दुनिया में दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है. इसके अलावा, भारत खाद्यान्न, फल, सब्जी, कपास, चीनी और चाय का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी बन गया है.
भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का सबब थी
प्रधानमंत्री ने कहा, एक दौर था, जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का सबब थी. अब, भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है. कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के 70 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं. इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल इकोनॉमिस्ट्स की ओर से यह त्रिवार्षिक सम्मेलन दो से सात अगस्त तक आयोजित किया जा रहा है. इस वर्ष के सम्मेलन का विषय सतत कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर है.
देश पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने पिछले 10 वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रति कम संवेदनशील फसलों की 1,900 नयी प्रजातियां प्रदान की हैं. उन्होंने कहा कि भारत रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रहा है. कहा कि देश पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य हासिल करने की ओर बढ़ रहा है. यह सम्मेलन वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डालेगा और कृषि अनुसंधान एवं नीति में देश की प्रगति को रेखांकित करेगा. इसका मकसद युवा शोधकर्ताओं और अग्रणी पेशेवरों को वैश्विक समकक्षों के साथ अपने काम और नेटवर्क को पेश करने के लिए एक मंच प्रदान करना है.
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