कांग्रेस का आरोप, सेबी प्रमुख आईसीआईसीआई बैंक में भी लाभ के पद पर… पीएम मोदी को घेरा
NewDelhi : कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नये आरोप लगाते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से उनकी नियुक्ति के मामले में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के प्रमुख के रूप में स्पष्टीकरण देने की मांग की. कांग्रेस ने एक संवाददाता सम्मेलन में […] The post कांग्रेस का आरोप, सेबी प्रमुख आईसीआईसीआई बैंक में भी लाभ के पद पर… पीएम मोदी को घेरा appeared first on lagatar.in.
NewDelhi : कांग्रेस ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी बुच के खिलाफ हितों के टकराव के नये आरोप लगाते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी से उनकी नियुक्ति के मामले में मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति (एसीसी) के प्रमुख के रूप में स्पष्टीकरण देने की मांग की. कांग्रेस ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि 2017 में सेबी की मौजूदा अध्यक्ष के पदभार संभालने के बाद से वह न केवल सेबी से वेतन ले रही हैं, बल्कि आईसीआईसीआई बैंक में लाभ के पद पर भी हैं और वहां से भी आज की तारीख में आय हासिल कर रही हैं.
ICICI बैंक से हमारे सवाल हैं
• क्या ICICI ने किसी भी जगह SEBI के मेंबर को वेतन देने की बात सार्वजनिक की?
• ICICI सेबी की चेयपर्सन को सैलरी देने की आड़ में वह क्या सुविधा ले रहे थे?
• आखिर ICICI बैंक ने सालाना रिपोर्ट में यह जानकारी क्यों नहीं दी?
• ICICI बैंक ने… pic.twitter.com/odyOIfDbE2
— Congress (@INCIndia) September 2, 2024
प्रधानमंत्री मोदी से हमारे सवाल:
1. प्रधानमंत्री जी, आप जब रेगुलेटरी बॉडी के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं, तो उनके लिए क्या उचित मानदंड रखते हैं?
2. क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली ACC के सामने SEBI चेयरपर्सन की नियुक्ति से पहले/बाद में उनके बारे में ये चौंकाने वाले तथ्य… pic.twitter.com/1fOdbtWWAI
— Congress (@INCIndia) September 2, 2024
अडानी ग्रुप द्वारा किए गए प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्देशित नियामक संस्था की जांच में SEBI चेयरपर्सन के हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। ऐसा लगता है कि इन सवालों को भारत सरकार ने यूं ही नज़रअंदाज़ कर दिया है।
अब चौंकाने वाले कदाचार का…
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) September 2, 2024
प्रधानमंत्री अपनी चुप्पी के माध्यम से सेबी अध्यक्ष को बचाने में लगे हैं
कांग्रेस के प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि अदानी समूह द्वारा प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन की नियामक संस्था की उच्चतम न्यायालय की जांच में सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव को लेकर गंभीर सवाल उठाये गये हैं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ऐसा लगता है कि इन सवालों को भारत सरकार ने यूं ही नजरअंदाज कर दिया है. अब चौंकाने वाले कदाचार का यह ताज़ा खुलासा हुआ है. उन्होंने कहा, नॉन बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री, जो अपनी चुप्पी के माध्यम से सेबी अध्यक्ष को बचाने में लगे हैं, को स्पष्ट रूप से सामने आकर निम्न सवालों का जवाब देना चाहिए कि नियामक निकायों के प्रमुखों की नियुक्ति के लिए योग्यता के उपयुक्त मानदंड क्या हैं?
एसीसी पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय को आउटसोर्स कर दी गयी है
उन्होंने सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एसीसी ने सेबी अध्यक्ष को लेकर सामने आये इन चौंकाने वाले तथ्यों की जांच की है या एसीसी पूरी तरह से प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को आउटसोर्स कर दी गयी है? रमेश ने यह भी सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री को इस बात की जानकारी थी कि सेबी अध्यक्ष लाभ के पद पर थीं और सेबी में रहने के दौरान आईसीआईसीआई से वेतन/आय प्राप्त कर रही थीं? उन्होंने कहा, क्या प्रधानमंत्री को पता था कि सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में मौजूदा सेबी अध्यक्ष आईसीआईसीआई और उसके संबद्ध संस्थाओं के खिलाफ शिकायतों का निपटारा कर रही थी और साथ ही साथ आईसीआईसीआई से आय भी प्राप्त कर रही थीं? मौजूदा सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई से ईएसओपी लाभ क्यों मिलते रहे, जबकि वे बहुत पहले ही खत्म हो चुके थे?
कांग्रेस नेता ने पूछा कि सेबी अध्यक्ष को कौन बचा रहा है
कांग्रेस नेता ने पूछा कि सेबी अध्यक्ष को कौन बचा रहा है और क्यों बचा रहा है? उन्होंने कहा,नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री यूं ही सवालों का जवाब दिया बिना नहीं बचे रह सकते हैं. वे आख़िर कबतक इन सवालों पर चुप्पी साधे रहेंगे. पूंजी बाजार में करोड़ों भारतीय अपना निवेश करते हैं. वे इसके नियामक से पूर्ण पारदर्शिता और इमानदारी की मांग करते हैं. यहां कांग्रेस मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक सेबी की पूर्णकालिक सदस्य थीं और 2 मार्च, 2022 से इसकी अध्यक्ष हैं.
उन्होंने कहा, सेबी को भारतीय मध्यम वर्ग की कड़ी मेहनत की कमाई की सुरक्षा का काम सौंपा गया है, जो सुरक्षित भविष्य की आशा में निवेश करने के लिए कड़ी मेहनत से हर पैसा बचाता है. फिर भी, जब लोग सेबी पर अपनी उम्मीदें लगाते हैं, जिसके अध्यक्ष की नियुक्ति सीधे भारत के प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है, तो ऐसा लगता है कि वे हमें हमेशा धोखा देते रहे हैं.
सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव के कई मामले सामने आये हैं.
उन्होंने कहा कि सेबी अध्यक्ष के हितों के टकराव के कई मामले सामने आये हैं. उन्होंने दावा किया, वर्ष 2017-2021 के बीच, सेबी के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में, सेबी के मौजूदा अध्यक्ष को आईसीआईसीआई बैंक से 12.63 करोड़ रुपये का वेतन मिला. उन्होंने कहा कि यह सेबी (कर्मचारी सेवा) नियमन, 2001 की धारा 54 का उल्लंघन है. खेड़ा ने आरोप लगाया कि साल 2017-2024 के बीच, पूर्णकालिक सदस्य के रूप में और बाद में सेबी अध्यक्ष के रूप में, उन्हें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल से 22.41 लाख रुपये की आय भी मिली. उन्होंने कहा कि यह भी सेबी (कर्मचारी सेवा) नियमन, 2001 की धारा 54 का उल्लंघन है. खेड़ा ने आरोप लगाया कि साल 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को आईसीआईसीआई बैंक से 2.84 करोड़ रुपये का ईएसओपी भी प्राप्त हुआ. कहा कि यह आईसीआईसीआई कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना 2000 की धारा दस का उल्लंघन है.
सेबी अध्यक्ष को ईएसओपी पर टीडीएस भी मिला था
उन्होंने कहा कि 2021-2023 के बीच, वर्तमान सेबी अध्यक्ष को ईएसओपी पर टीडीएस भी प्राप्त हुआ था, जिसका भुगतान आईसीआईसीआई बैंक द्वारा 1.10 करोड़ रुपये किया गया था. खेड़ा ने कहा कि टीडीएस की राशि वेतन के तहत ली जाती है और यह एक बार फिर सेबी की आचार संहिता का उल्लंघन है. उन्होंने कहा, यह आयकर चोरी का मामला है क्योंकि आईसीआईसीआई बैंक द्वारा ईएसओपी पर टीडीएस के रूप में भुगतान किया जाना एक शर्त है और इस पर भी कर लगाया जाना चाहिए. यह कर चोरी 50 लाख रुपये है.
कांग्रेस के नये आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट के मद्देनजर आये हैं
कांग्रेस ने एक बयान में आरोप लगाया कि 2017 में सेबी में शामिल होने के समय से अब तक आईसीआईसीआई से सेबी अध्यक्ष को प्राप्त कुल राशि 16,80,22,143 रुपये है, जो इसी अवधि के दौरान सेबी से प्राप्त आय का 5.09 गुना अर्थात 3,30,28,246 रुपये है. कांग्रेस के नये आरोप हिंडनबर्ग रिसर्च की उस रिपोर्ट के मद्देनजर आये हैं जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेबी की अध्यक्ष बुच और उनके पति की कथित अदानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किये गये अस्पष्ट विदेशी फंड में हिस्सेदारी थी. सेबी अध्यक्ष बुच और उनके पति ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों को निराधार बताया और जोर देकर कहा है कि उनका वित्त कामकाज एक खुली किताब है. अदानी समूह ने भी इन सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया है.
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