कांग्रेस ने कहा, भ्रष्ट जनता पार्टी ने आदिवासी अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश की…
New Delhi : कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आदिवासी अधिकारों को कमजोर करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के वन संरक्षण संशोधन अधिनियम ने 2006 के ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम के तहत हुई तमाम प्रगति को रोक दिया है. […]
New Delhi : कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी पर आदिवासी अधिकारों को कमजोर करने का आरोप लगाया है. कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आज रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के वन संरक्षण संशोधन अधिनियम ने 2006 के ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम के तहत हुई तमाम प्रगति को रोक दिया है. जयराम रमेश ने झारखंड के जमशेदपुर में प्रधानमंत्री मोदी की रैली से पहले उनसे कुछ सवाल पूछे. रमेश ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, जमशेदपुर के लोग अब भी खराब संपर्क सुविधा की समस्या से क्यों जूझ रहे हैं? ऐसा क्यों है कि 2ए (अंबानी और अडाणी) और काले धन से भरे उनके टेंपो खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया? नेशनल खबरों के लिए यहां क्लिक करें
#WATCH | Congress General Secretary in-charge Communications, Jairam Ramesh says, ” The way ED, CBI and I-T are being misused by Modi govt, this has never happened before. PM Modi made ED arrest Hemant Soren and Arvind Kejriwal and put them in jail. PM Modi himself says that… pic.twitter.com/g15Cfmkf06
— ANI (@ANI) May 19, 2024
आज 11 दिन हो गए हैं जब निवर्तमान प्रधानमंत्री ने अपने ख़ास मित्रों अडानी और अंबानी पर काले धन से भरे टेंपो रखने का आरोप लगाया था। 2A के ख़िलाफ़ अभी तक ED और CBI की कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
Today it has been 11 days since the outgoing PM charged his buddies Adani and Ambani of… https://t.co/okbJqSHUwK
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) May 19, 2024
पीएम आदिवासियों को धार्मिक पहचान से वंचित क्यों किया
आदित्यपुर औद्योगिक क्षेत्र को अब तक पर्यावरण मंजूरी क्यों नहीं मिली? प्रधानमंत्री ने आदिवासियों को उनकी धार्मिक पहचान से वंचित क्यों किया और सरना कोड को मान्यता देने से इनकार क्यों किया? उन्होंने जुमलों का विवरण शीर्षक के तहत अपने प्रश्नों के बारे में विस्तार से बताया. कहा कि एक औद्योगिक केंद्र होने के बावजूद जमशेदपुर खराब परिवहन संपर्क सुविधा की समस्या से जूझ रहा है. रमेश ने कहा कि भागलपुर, बेंगलुरु और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों के लिए चलने वाली ट्रेन की संख्या पर्याप्त नहीं है. कहा कि शहर में 2016 तक एक हवाई अड्डा संचालित था, लेकिन 2018 में उड़ान योजना में शामिल होने के बावजूद नये हवाई अड्डे की योजना साकार नहीं हुई. रमेश ने कहा कि दिसंबर 2022 तक धालभूमगढ़ हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जनवरी 2019 में झारखंड सरकार और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये.
झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया.
उन्होंने कहा, इससे औद्योगिक क्षेत्र के टाटा जैसी प्रमुख कंपनियों समेत आदित्यपुर में एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) को अच्छा बढ़ावा मिलता. जब दिसंबर 2022 की तय समय सीमा में काम नहीं हुआ तो भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) के अपने सांसद इस मुद्दे को संसद में उठाने के लिए मजबूर हुए. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने 27 फरवरी 2023 को जवाब दिया और पुष्टि की कि परियोजना को बंद कर दिया गया है.’’ रमेश ने कहा कि अब काफी मशक्कत के बाद पर्यावरण संबंधी इजाजत मिलती दिख रही है. उन्होंने सवाल किया कि केंद्र सरकार ने झारखंड में इतने जरूरी बुनियादी ढांचे की अनदेखी क्यों की. उन्होंने कहा, सबका साथ सबका विकास का क्या हुआ? रमेश ने कहा, निवर्तमान प्रधानमंत्री के दो सबसे अच्छे मित्र काले धन से भरे टेम्पो रखने के बावजूद ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और सीबीआई (केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो) से बचे हुए हैं लेकिन झारखंड के आदिवासी मुख्यमंत्री को जेल में डाल दिया गया.
प्रधानमंत्री ल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे
यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि कैसे भ्रष्ट जनता पार्टी ने आदिवासी पहचान और आदिवासी अधिकारों को कमजोर करने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि पिछले साल, मोदी सरकार ने वन संरक्षण संशोधन अधिनियम पारित किया जिसने 2006 के ऐतिहासिक वन अधिकार अधिनियम के तहत हुई तमाम प्रगति को रोक दिया और विशाल क्षेत्रों में वन मंजूरी के लिए स्थानीय समुदायों की सहमति एवं अन्य वैधानिक आवश्यकताओं के प्रावधानों को खत्म कर दिया. रमेश ने कहा, इसके पीछे का इरादा बिना किसी शक के जंगलों तक प्रधानमंत्री के पसंदीदा मित्रों की पहुंच सुनिश्चित करना है. क्या प्रधानमंत्री कभी जल-जंगल-जमीन के नारे पर दिखावा करना बंद करेंगे और आदिवासी कल्याण के लिए सही मायने में प्रतिबद्ध होंगे?’’ उन्होंने कहा, ‘‘क्या वह (मोदी) इस पर कुछ बोलेंगे कि ईडी और सीबीआई ने अभी तक उनके सबसे अच्छे मित्रों के टेंपो की जांच क्यों नहीं की?
झारखंड के आदिवासी समुदाय वर्षों से सरना धर्म को मानते आ रहे हैं
उन्होंने कहा कि झारखंड के आदिवासी समुदाय वर्षों से सरना धर्म को मानते आ रहे हैं और वे भारत में अपनी विशिष्ट धार्मिक पहचान को आधिकारिक रूप से मान्यता देने की मांग कर रहे हैं. रमेश ने कहा, लेकिन जनगणना के धर्म कॉलम से अन्य विकल्प को हटाने के हालिया निर्णय ने सरना अनुयायियों के लिए दुविधा पैदा दी है. उन्हें अब या तो विकल्पों में मौजूद धर्मों में से किसी एक को चुनना होगा या कॉलम को खाली छोड़ना होगा. उन्होंने कहा कि नवंबर 2020 में झारखंड विधानसभा ने विशिष्ट धार्मिक पहचान को मान्यता देने की मांग का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया था. रमेश ने कहा, ‘‘भाजपा के पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के 2021 तक सरना कोड लागू करने के आश्वासन और 2019 में गृह मंत्री अमित शाह के ऐसे ही वादे के बावजूद मोदी सरकार में इस मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई है. आज जब प्रधानमंत्री मोदी झारखंड में हैं तो क्या वह इस मुद्दे पर बात करेंगे और स्पष्ट करेंगे कि सरना कोड लागू करने को लेकर उनका क्या रुख है? क्या रघुबर दास और अमित शाह के वादे महज जुमले थे?
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