कोल्हान विवि ने 165 शोधार्थियों का थीसिस शोध गंगा में अपलोड
दुनिया के छात्र भी पढ़ रहे केयू के शोधार्थियों का शोधपत्र पिछले तीन सालों से थीसिस को किया जा रहा अपलोड SUKESH KUMAR Chaibasa: कोल्हान विश्वविद्यालय में पीएचडी शोधार्थियों की थीसिस को पूरे दुनिया के प्लेटफार्म पर ले जाने के लिए पिछले तीन सालों से कार्य चल रहा है. विवि ने अब तक लगभग 165 […]
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दुनिया के छात्र भी पढ़ रहे केयू के शोधार्थियों का शोधपत्र
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पिछले तीन सालों से थीसिस को किया जा रहा अपलोड
SUKESH KUMAR
Chaibasa: कोल्हान विश्वविद्यालय में पीएचडी शोधार्थियों की थीसिस को पूरे दुनिया के प्लेटफार्म पर ले जाने के लिए पिछले तीन सालों से कार्य चल रहा है. विवि ने अब तक लगभग 165 शोधार्थियों के थीसिस को शोध गंगा में अपलोड कर दिया है, ताकि दुनिया के किसी भी स्थान पर कोई भी आसानी से देख सकता है. कोल्हान विवि के शोधार्थियों की थीसिस को हर कोई देखकर अनुभव हासिल कर सकता है. उक्त वेबसाइट में यह थीसिस को पीडीएफ फाइल बनाकर अपलोड कर दिया गया है. यह सारा कार्य कोल्हान विवि के सेंट्रल लाइब्रेरी से संचालित हो रही है. लाइब्रेरियन नीलकंठ ने कहा कि पिछले दो सालों से अपलोड का काम चल रहा है. शोधार्थी का अवार्ड होने के पश्चात उसके थीसिस को शोध गंगा वेबसाइट में अपलोड किया जाता है. यह एक ऐसा वेबसाइट है जहां पूरी दुनिया भर के श्रेष्ठ विवि के शोधार्थी का शोध पत्र यहां पर उपलब्ध है. इस वेबसाइट से शोधार्थी अनुभव हासिल कर सकते है.
क्या है शोध गंगा
कोल्हान विवि के लाइब्रेरियन नीलकंठ के मुताबिक शोधगंगा भारत के शोध प्रबंधों का ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक भंडार है. यह इन्फ्लिबनेट केन्द्र द्वारा स्थापित किया गया है. इनफ्लिबनेट अहमदाबाद की ऑनलाइन कंपनी है. सरकार के आदेशानुसार विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों के लिए अपने शोध-प्रबन्धों को एलेक्ट्रॉनिक रूप में भी जमा करना अनिवार्य बना दिया गया है. शोध के दौरान साहित्यिक चोरी या मुद्राधिकार उल्लंघन से बचने तथा शोध की गिरती हुई गुणवत्ता को संभालने के उद्देश्य से शोधगंगा की पहल की गई है. शोधगंगा में अभी तक 428 विश्वविद्यालय योगदान दे रहे हैं. यहां 7000 सिनॉप्सिस जमा हो चुके हैं, 2,50, 000 से ज्यादा फुल टेक्स्ट शोध-प्रबंध जमा हो चुके हैं.
इंटरनेट पर उपलब्ध इस योजना का मुख्य उद्देश्य
विभिन्न विश्वविद्यालय के विभिन्न विषयों में शोध पत्रों को ऑनलाइन उपलब्ध करवाना और पीएचडी जैसे विभिन्न शैक्षिक उपाधिपरक शोध-प्रबंध में नकल की बढ़ती प्रवृत्ति पर लगाम लगाना है. शोधपत्रों के अध्ययन के लिए भारत में उपलब्ध यह सबसे अच्छी व्यवस्था है. यूजीसी द्वारा शुरू की गई ‘शोधगंगा’ से अब तक देश के 70 के करीब विश्वविद्यालय जुड़ चुके हैं. इस योजना के तहत देशभर के सभी विश्वविद्यालय के शोधपत्र ऑनलाइन किए जा रहे हैं. जिसके कारण किसी भी विश्वविद्यालय का शोधपत्र कहीं भी देखा जा सकता है.
इस व्यवस्था को लेकर विवि को यूजीसी से मिलता अलग फंड
यूजीसी की इस व्यवस्था को लागू करने के लिए कोल्हान विश्वविद्यालय को अलग से फंड भी उपलब्ध करवाया जा रहा है. इसके माध्यम से पीएचडी, डी-लिट और डीएएससी के सभी शोध पत्र वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं. हालांकि कोल्हान विवि में सिर्फ पीएचडी की ही पढ़ाई होती है.
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