चाईबासा : विनाशकारी परियोजना और विस्थापन से मुक्ति कब मिलेगी : शिव शंकर कालुंडिया

Chaibasa (Sukesh Kumar) : तांतनगर प्रखंड, कासेया पंचायत अंतर्गत ग्राम हरिबेड़ा में ग्रामीण मुंडा शिव शंकर कालुंडिया की अध्यक्षता में ईचा खरकई बांध विरोधी संघ, कोल्हान के द्वारा जन जागरण सह जनांदोलन चलाया गया. इन दिनों ईचा डैम से प्रभावित कोल्हान के 87 गांवों में पूर्ण और आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आने वाले […]

May 10, 2024 - 17:30
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चाईबासा : विनाशकारी परियोजना और विस्थापन से मुक्ति कब मिलेगी : शिव शंकर कालुंडिया

Chaibasa (Sukesh Kumar) : तांतनगर प्रखंड, कासेया पंचायत अंतर्गत ग्राम हरिबेड़ा में ग्रामीण मुंडा शिव शंकर कालुंडिया की अध्यक्षता में ईचा खरकई बांध विरोधी संघ, कोल्हान के द्वारा जन जागरण सह जनांदोलन चलाया गया. इन दिनों ईचा डैम से प्रभावित कोल्हान के 87 गांवों में पूर्ण और आंशिक रूप से डूब क्षेत्र में आने वाले ग्रामीणों को संगठित करने हेतु जनांदोलन चलाया जा रहा है. उच्च न्यायालय में याचिकाकर्ता संतोष कुमार सोनी द्वारा ईचा डैम निर्माण कार्य शुरू करने वावत जनहित याचिका दायर किया गया. जिस पर उच्च न्यायालय ने सरकार को जवाब दाखिल करने कहा है और अपना मंतव्य स्पष्ट करने को कहा है.

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जल संसाधन विभाग ने कोर्ट में शपथ पत्र दाखिल कर सिर्फ इतना कहा है कि ग्रामीणों के विरोध के कारण यह परियोजना रुका हुआ है. झारखंड सरकार के द्वारा डूब क्षेत्र के प्रभावित ग्रामीणों के हित में बात रखने और कुजू डैम रद्द करने को लेकर इस बार ग्रामीण और संघ निर्णायक भूमिका में नजर आ रहे हैं. संघ विस्थापितों को संगठित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है. अध्यक्ष बिर सिंह बुड़ीउली और सचिव सुरेश सोय इसका नेतृत्व कर रहे हैं. सभा को संबोधित करते हुए ग्रामीण मुंडा शिवशंकर कालुंडिया ने झारखंड सरकार से मांग करते हुए कहा कि कोल्हान को इस विनाशकारी परियोजना और विस्थापन से मुक्ति कब मिलेगी. दो दशकों से झामुमो इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटी सेंकती आ रही है.

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महागठबंधन की सरकार बनने के बाद उम्मीदों पर पर्दा डाल जन प्रतिनिधियों ने छुपी साद ली है. इस वादा खिलाफी का जवाब विधायकों और सांसद को वोट से देने की अपील की. मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष गुलिया कालुंडिया,लालू कालुंडिया, सुरेश सामड, दुलमु कालुंडिया, जितेन कालुंडिया, कृष्णा बिरुवा, बुवायें हेंब्रम, मुटरा बिरुवा, शिव शंकर चाकी,किशोर मुंडरी, चोकरो बिरुवा, सुनील मुंडरी बिरसा दिग्गी, गुरवारी कालुंडिया, सुमित्रा मुंडरी,बसंती बिरुवा, तुलसी मुंडरी, निशा बांडरा, सुनीता, दयामुनी, मुक्ता दिग्गी और आंदोलनकारी व ग्रामीण उपस्थित थे.

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