चौपारण : करमा व चौपारण के व्यवसायी महुआ शराब को दे रहे बढ़ावा,प्रशासन मौन
chauparan: प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूर झारखंड-बिहार सीमा के जंगल-पठारों के बीच ढांढर नदी के मुहाने पर बसे अति उग्रवाद प्रभावित चौपारण प्रखंड के भगहर-परसातरी में अवैध तरीके से महुआ शराब का निर्माण किया जा रहा है. इस संबंध में भगहर के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन व उत्पाद विभाग करमा एवं चौपारण […] The post चौपारण : करमा व चौपारण के व्यवसायी महुआ शराब को दे रहे बढ़ावा,प्रशासन मौन appeared first on lagatar.in.
chauparan: प्रखंड मुख्यालय से 20 किमी दूर झारखंड-बिहार सीमा के जंगल-पठारों के बीच ढांढर नदी के मुहाने पर बसे अति उग्रवाद प्रभावित चौपारण प्रखंड के भगहर-परसातरी में अवैध तरीके से महुआ शराब का निर्माण किया जा रहा है. इस संबंध में भगहर के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन व उत्पाद विभाग करमा एवं चौपारण के आधा दर्जन व्यवसायी पर लगाम लगा कर महुआ, गुड़ और ड्राम भगहर में सप्लाई बंद करवा दे तो स्वतः अवैध शराब बनना रुक जाएगा.
सूत्रों के अनुसार बिहार का पिकअप वाहन महुआ, गुड़ लोड कर भगहर होते हुए बिहार जाने के क्रम में भगहर जंगल मे पुलिस ने पकड़ा, जिसपर करमा के व्यवसायी का कागज दिखाने पर उसे छोड़ दिया गया. साथ ही भगहर के ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन की एक पहल से पंचायत में शराब बनाने में उपयोग किया जाने वाला सैकड़ों पेड़ कटने से बच जाएंगे. मालूम हो कि भगहर के आसपास के जंगलों में बड़े पैमाने पर अवैध महुआ शराब की भट्टियां चल रही हैं, जिसकी भट्ठी में दिन-रात लकड़ी जलती रहती है. सूत्रों की मानें तो लकड़ी, पत्थर, बालू, अबरख, कत्था, केंदू पत्ता सहित दर्जन भर अवैध धंधा बेखौफ चलता रहता है. इसमें खास कर अवैध महुआ शराब की लघु व कुटीर उद्योग घर-घर देखा जा सकता है. क्षेत्र में वर्तमान समय मे दो सौ से अधिक महुआ शराब की भट्टियां चल रही हैं. शराब भट्टियों से हर दिन लाखों रुपये की महुआ शराब बिहार के विभिन्न शहरों तक पहुंच रही है. इस संबंध में उत्पाद पदाधिकारियों की चुप्पी के कारण दिन प्रतिदिन अवैध शराब भट्ठियों का इजाफा हो रहा है.
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प्रशासन को लगातार कार्रवाई करनी चाहिए
वहीं बरही विधायक सह निवेदन समिति सभापति उमाशंकर अकेला ने कहा कि भगहर, दैहर, रामपुर, करमा सहित अन्य पंचायत के गांवों में अवैध महुआ शराब भट्ठी पर प्रशासन को लगातार कार्रवाई करनी चाहिए. सूत्रों की मानें तो प्रतिदिन हजारों पेड़ काट कर एक तरफ अवैध शराब भट्ठी में आग के हवाले और वही कीमती लकड़ी को आरा मशीनों में चिराई कर जंगल को उजाड़ रहे हैं. बुजुर्गों की एक कहावत है कि एक पेड़ काटने पर 8 व्यक्ति के हत्या के बराबर अपराध होता है. इसके बाद भी चौपारण के कई क्षेत्रों के जंगल को काटा जा रहा है. गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयणी जंगल काट कर हर दिन लकड़ी पिकअप वैन से बिहार जा रही है. इसमें वनकर्मी मूकदर्शक बने हुए हैं. मालूम हो कि गौतम बुद्धा वन्यप्राणी आश्रयणी के रेंजर चौपारण में दो चार महीने पर एक दो बार आता है.
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