दशहरा पर आरएसएस मुख्यालय पहुंचे इसरो के पूर्व अध्यक्ष : विज्ञान और राष्ट्रवाद का संगम
Lagatar News Network Nagpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 99वें स्थापना दिवस पर आयोजित विजयादशमी उत्सव में इस बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन मुख्य अतिथि रहे. इस अवसर पर आयोजित ‘शास्त्र पूजा’ और ‘पथ संचलन’ कार्यक्रम में डॉ राधाकृष्णन ने विज्ञान और राष्ट्रवाद को जोड़ते हुए एक भावुक […] The post दशहरा पर आरएसएस मुख्यालय पहुंचे इसरो के पूर्व अध्यक्ष : विज्ञान और राष्ट्रवाद का संगम appeared first on lagatar.in.

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Nagpur: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के 99वें स्थापना दिवस पर आयोजित विजयादशमी उत्सव में इस बार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष डॉ के राधाकृष्णन मुख्य अतिथि रहे. इस अवसर पर आयोजित ‘शास्त्र पूजा’ और ‘पथ संचलन’ कार्यक्रम में डॉ राधाकृष्णन ने विज्ञान और राष्ट्रवाद को जोड़ते हुए एक भावुक भाषण दिया.
अपने संबोधन में डॉ राधाकृष्णन ने कहा कि भारत ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है और यह प्रौद्योगिकी अब देश के हर नागरिक के जीवन को प्रभावित कर रही है. उन्होंने कहा कि पृथ्वी-उन्मुख अनुप्रयोग उपग्रहों ने हमारे देश के संचार बुनियादी ढांचे को मजबूत किया है और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. किसानों और मछुआरों से लेकर आम नागरिक तक हर कोई अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के लाभ उठा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि भारत का लक्ष्य केवल आत्मनिर्भर बनना नहीं है, बल्कि स्थायी मानव कल्याण के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का उपयोग करना है. उन्होंने कहा कि इसरो देश की रणनीतिक जरूरतों को पूरा करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.
देश के राष्ट्रीय चरित्र के कारण महान बनता है देश
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने इस अवसर पर कहा कि कोई देश लोगों के राष्ट्रीय चरित्र के कारण महान बनता है. उन्होंने कहा कि आरएसएस शताब्दी वर्ष में कदम रख रहा है और यह वर्ष संगठन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
भागवत ने इज़राइल-हमास युद्ध पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुनिया के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि हर कोई महसूस करता है कि पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी हुई विश्वसनीयता के साथ भारत दुनिया में अधिक मजबूत और सम्मानित हुआ है. उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश में यह बात फैलाई जा रही है कि भारत एक खतरा है, जो कि पूरी तरह से गलत है.
मोहन भागवत ने आगे कहा कि “दीप स्टेट”, “वोकिज्म” और “सांस्कृतिक मार्क्सवादियों” को सभी सांस्कृतिक परंपराओं का दुश्मन है. भागवत ने अपने भाषण में इन ताकतों पर भारत और अन्य देशों की सांस्कृतिक नींव को कमजोर करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि ये ताकतें “सॉफ्ट पावर” रणनीतियों जैसे मीडिया हेरफेर और सांस्कृतिक घुसपैठ का उपयोग करके पारंपरिक मूल्यों को कमजोर कर रही हैं और उन्हें “सापेक्षवाद” और “सामूहिकवाद” को बढ़ावा देने वाली विचारधाराओं से बदल रही हैं.
आरएसएस प्रमुख ने सांस्कृतिक परंपराओं को एक राष्ट्र की पहचान और ताकत का आधार बताते हुए इन “सांस्कृतिक विरोधी” ताकतों के खिलाफ सतर्क रहने और भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने को मजबूत करने के लिए आरएसएस कार्यकर्ताओं का आह्वान किया.
भागवत की टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब कई पश्चिमी समाजों में पारंपरिक मूल्यों के क्षरण की चिंता बढ़ रही है. आरएसएस को अक्सर एक रूढ़िवादी और राष्ट्रवादी एजेंडा को बढ़ावा देने के लिए आरोपित किया जाता है, लेकिन भागवत के भाषण से पता चलता है कि संगठन अब इन “सांस्कृतिक विरोधी” ताकतों को अपनी विचारधारा के लिए एक सीधा खतरा मान रहा है.
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