पटना में बोले राहुल गांधी, जाति जनगणना जरूरी… सत्ता संरचना में दलितों-पिछड़ों को हम दिलायेंगे भागीदारी …

Patna : देश में सत्ता संरचना में दलितों और पिछड़ों की भागीदारी नहीं है. दलितों को प्रतिनिधित्व तो दिया गया, लेकिन सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं होने के कारण इसका कोई मतलब नहीं है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बुधवार को बिहार की राजधानी पटना में बोल रहे थे. पटना में स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय […]

Feb 6, 2025 - 05:30
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पटना में बोले राहुल गांधी, जाति जनगणना जरूरी… सत्ता संरचना में दलितों-पिछड़ों को हम दिलायेंगे भागीदारी …

Patna : देश में सत्ता संरचना में दलितों और पिछड़ों की भागीदारी नहीं है. दलितों को प्रतिनिधित्व तो दिया गया, लेकिन सत्ता संरचना में भागीदारी नहीं होने के कारण इसका कोई मतलब नहीं है. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बुधवार को बिहार की राजधानी पटना में बोल रहे थे. पटना में स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय जगलाल चौधरी के जयंती समारोह में उन्होंने कहा कि आज देश की सत्ता संरचना में, चाहे वह शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो, कॉर्पोरेट हो, व्यापार हो, न्यायपालिका हो, आपकी(दलितों और पिछड़ों) भागीदारी कितनी है?

न्यायपालिका, मीडिया संस्थानों और ब्यूरोक्रेसी में इनकी कितनी भागीदारी है

राहुल गांधी ने सत्ता पक्ष पर तंज कसते हुए कहा कि आप लोग टिकट तो दे देते हैं, लेकिन अधिकार नहीं देते. देश में जाति जनगणना कराने की मांग कराने के क्रम में बिहार की जाति जनगणना पर सवाल उठाये. कहा कि बिहार की तरह नहीं, वरन, तेलंगाना की तरह जाति जनगणना जरूरी है. जाति जनगणना से हमें पता चल जायेगा कि दलित, पिछड़े, अल्पसंख्यक, गरीब, सामान्य वर्ग से कौन और कितने हैं? इसके बाद हम न्यायपालिका, मीडिया, संस्थानों और ब्यूरोक्रेसी में इनकी कितनी भागीदारी है, इसकी सूची तैयार कर असलियत सामने लायेंगे. राहुल ने कहा कि हमारी कांग्रेस पार्टी दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उनकी भागीदारी दिलवाना चाहती है. लेकिन भाजपा और आरएसएस के लोग संविधान को खत्म करना चाहते हैं.

200 बड़ी कंपनियों में एक भी दलित-ओबीसी,आदिवासी नहीं  

राहुल गांधी ने सवाल किया, 200 बड़ी कंपनियों में एक भी दलित-ओबीसी, आदिवासी नहीं हैं. 90 लोग हिंदुस्तान का बजट निर्धारण करते हैं, इन लोगों में सिर्फ तीन दलित हैं. जो तीन अधिकारी दलित हैं, उनको छोटे-छोटे विभाग दे रखे हैं. अगर सरकार 100 रुपये खर्च करती है तो उसमें एक रुपये का निर्णय ही दलित अफसर लेते हैं. इसी तरह 50 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है, उनके भी मात्र तीन अधिकारी हैं. दलित, आदिवासी और पिछड़ा वर्ग की भागीदारी 100 रुपये में सिर्फ छह रुपये के बराबर है.

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