बुलडोजर न्याय किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता, अपने आखिरी जजमेंट में बोले CJI DY चंद्रचूड़
यूपी के महाराजगंज में हुए बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच NewDelhi : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ आज रिटायर हो जायेंगे. 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस का पदभार ग्रहण वाले डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. सीजेआई जस्टिस खन्ना 11 नवंबर […] The post बुलडोजर न्याय किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता, अपने आखिरी जजमेंट में बोले CJI DY चंद्रचूड़ appeared first on lagatar.in.
यूपी के महाराजगंज में हुए बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई कर रही तीन जजों की बेंच
NewDelhi : सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ आज रिटायर हो जायेंगे. 9 नवंबर 2022 को चीफ जस्टिस का पदभार ग्रहण वाले डीवाई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद जस्टिस संजीव खन्ना भारत के 51वें चीफ जस्टिस होंगे. सीजेआई जस्टिस खन्ना 11 नवंबर को भारत के मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ लेंगे. डीवाई चंद्रचूड़ का सुप्रीम कोर्ट में आखिरी वर्किंग डे आठ नवंबर को था. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने आखिरी जजमेंट में बुलडोजर एक्शन की कड़ी निंदा की. सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की बेंच ने यूपी के महाराजगंज में हुए बुलडोजर एक्शन पर सुनवाई करते हुए योगी सरकार को फटकार लगायी. डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि कानून के शासन में बुलडोजर न्याय अस्वीकार्य है. किसी की संपत्ति को नष्ट करके उसे न्याय नहीं दिया जा सकता है. बुलडोजर चलाने की धमकी देकर लोगों की आवाज को दबाया नहीं जा सकता. यह कानून की नजर में सही नहीं है. इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता. अगर इसे अनुमति दी गयी तो अनुच्छेद 300ए के तहत संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता एक डेड लेटर बनकर रह जायेगी. तीन जजों की बेंच में डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी थे.
"Citizens’ voices cannot be throttled by a threat of destroying their properties and homesteads."#SupremeCourt says Justice through bulldozers is unknown to any civilized system of jurisprudence.
This seems to be the last judgment signed by CJI DY Chandrachud.
The judgment… pic.twitter.com/DotU7xDV45
— CiteCase (@CiteCase) November 9, 2024
बुलडोजर न्याय किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद 300ए का हवाला देते हुए कहा कि अगर बुलडोजर न्याय की अनुमति देने से संपत्ति के अधिकार की संवैधानिक मान्यता समाप्त हो जायेगी. संविधान के अनुच्छेद 300ए में कहा गया है कि किसी भी व्यक्ति को कानून के प्राधिकार के बिना उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जायेगा. कहा कि बुलडोजर के जरिये न्याय करना किसी भी सभ्य न्याय व्यवस्था का हिस्सा नहीं हो सकता. अगर राज्य के किसी भी विंग या अधिकारी को मनमानी और गैरकानूनी व्यवहार की अनुमति दी जाती है, तो यह एक गंभीर खतरा है. कहा कि नागरिकों की संपत्तियों को ध्वस्त करना बाहरी कारणों से एक चुनिंदा प्रतिशोध के रूप में माना जायेगा.
नागरिकों की संपत्तियों के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले सुरक्षा उपायों को करें पूरा
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि एक इंसान के पास अगर सुरक्षा के रूप में अगर कुछ होता है तो वह है उसका घर. कानून निस्संदेह सार्वजनिक संपत्ति पर अवैध कब्जे और अतिक्रमण को उचित नहीं ठहराता. नगरपालिका कानून और नगर नियोजन विधान में अवैध अतिक्रमणों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं. उन्होंने प्रक्रियागत सुरक्षा उपायों की कुछ न्यूनतम सीमा निर्धारित करने का प्रस्ताव किया, जिन्हें नागरिकों की संपत्तियों के विरुद्ध कार्रवाई करने से पहले पूरा किया जाना चाहिए. राज्य को अवैध अतिक्रमणों को हटाने के लिए कार्रवाई करने से पहले कानून की इस प्रक्रिया का पालन करना चाहिए.
जिसका घर तोड़ा है उसे 25 लाख का मुआवजा दें
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने यूपी सरकार फटकार लगाते हुए मुआवजा देने का भी आदेश दिया था. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आप इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ना शुरू कर सकते हैं? किसी के घर में घुसना अराजकता है. यह पूरी तरह से मनमानी है. उचित प्रक्रिया का पालन कहां किया गया है? चीफ जस्टिस ने कहा कि हमारे पास हलफनामा है, जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था. आप केवल साइट पर गये थे और लोगों को सूचित किया था. क्या इससे न्याय का उद्देश्य पूरा होगा? चंद्रचूड़ ने कहा कि जिसका घर तोड़ा है, उसे 25 लाख रुपए का मुआवजा दें.
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