मंत्री आलमगीर जांच में नहीं कर रहे सहयोग, टेंडर घोटाले की कमाई से कई लोगों ने अर्जित की संपति
Vinit Abha Upadhyay Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड के लिए दिये आवेदन में कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम टेंडर घोटाले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. ईडी ने कहा कि जब्त की गयी सामग्रियों, दस्तावेजों, रिकॉर्डों से नये तथ्य सामने आये हैं, जिनका […]
Vinit Abha Upadhyay
Ranchi : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंत्री आलमगीर आलम की रिमांड के लिए दिये आवेदन में कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम टेंडर घोटाले की जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं. ईडी ने कहा कि जब्त की गयी सामग्रियों, दस्तावेजों, रिकॉर्डों से नये तथ्य सामने आये हैं, जिनका आलमगीर से आमना-सामना कराने की जरुरत है. डिजिटल रिकॉर्ड भारी मात्रा में हैं. विभिन्न डिजिटल उपकरणों से डाटा निकालने का काम अभी भी जारी है. साथ ही संजीव लाल और जहांगीर आलम से पूछताछ के दौरान कई नये तथ्य सामने आये हैं. इन तथ्यों का मंत्री के साथ सामना कराने और पुष्टि करने की जरुरत है, क्योंकि आलमगीर धन के स्रोत यानी अपराध की आय के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां छिपा रहे हैं और अपने जवाबों में भी टालमटोल कर रहे हैं. आलमगीर और उनके सहयोगियों द्वारा अपराध की आय से अर्जित संपत्तियों (अचल/चल) की पहचान करने और मंत्री के माध्यम से अपराध की आय अर्जित करने वाले अन्य लाभार्थियों की भूमिका की जांच करने के लिए भी उनकी हिरासत में पूछताछ जरुरी है.
वीरेंद्र कुमार कमीशन का निर्धारित हिस्सा मंत्री आलमगीर देता था
दरअसल 6 मई को ईडी ने संजीव और जहांगीर के परिसरों पर छापेमारी की थी. इस दौरान ईडी ने उनके ठिकानों से 37.5 करोड़ बरामद किये थे. इसके बाद ईडी ने आलमगीर आलम को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था. दो दिनों तक लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने 13 मई को आलमगीर आलम को गिरफ्तार कर लिया था. यह मामला वीरेंद्र कुमार राम से जुड़ा है, जिन्हें पिछले साल 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था. वह झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल और ग्रामीण कार्य विभाग दोनों में मुख्य अभियंता के पद पर तैनात थे. वीरेंद्र राम निविदा आवंटन के लिए कमीशन इकट्ठा करता था और उक्त कमीशन/1.5% का निर्धारित हिस्सा मंत्री आलमगीर आलम को देता था.
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