माता कूष्मांडा की उपासना से रोगों का होगा नाश, मालपुआ मां को बेहद प्रिय
LagatarDesk : शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे रूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. कूष्मांडा योग और ध्यान की देवी भी हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी. इसलिए देवी का नाम कूष्मांडा पड़ा. सृष्टि की रचना […] The post माता कूष्मांडा की उपासना से रोगों का होगा नाश, मालपुआ मां को बेहद प्रिय appeared first on lagatar.in.
LagatarDesk : शारदीय नवरात्रि का आज चौथा दिन है. इस दिन मां दुर्गा के चौथे रूप माता कूष्मांडा की पूजा की जाती है. कूष्मांडा योग और ध्यान की देवी भी हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता ने अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति की थी. इसलिए देवी का नाम कूष्मांडा पड़ा. सृष्टि की रचना करने के कारण माता को सृष्टि का आदि स्वरूप (आदिशक्ति) भी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि देवी का निवास स्थान सूर्यमंडल के मध्य है. इसलिए देवी सूर्य के समान तेज है. इनकी उपासना से भक्तों पर किसी प्रकार का कष्ट नहीं आता. साथ ही सभी रोग और शोक मिट जाते हैं और समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है. मां कूष्मांडा की अराधना से सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है. माता की पूजा-अर्चना करने से लोग निरोग होते हैं. मां कूष्मांडा की पूजा करने से आयु, यश, बल और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है. ज्योतिष की मानें तो मां कूष्मांडा का संबंध बुध ग्रह से है. इसलिए इनकी अराधना से बुध ग्रह मजबूत होता है.
ऐसे करें मां कूष्मांडा की पूजा
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. हरे कपड़े पहनकर मां कूष्मांडा का पूजन करें. इसके बाद विधि-विधान से कलश की पूजा करने के साथ मां दुर्गा और उनके स्वरूप की पूजा करें. मां का ध्यान कर सिंदूर, पुष्प, माला, धूप, गंध, अक्षत, लाल फूल, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें. मां को भोग लगाएं और जल अर्पित करें. अंत में मां की आरती करें.
मालपुआ व कुम्हड़ा का भोग लगाकर मां को करें प्रसन्न
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, कूष्मांडा एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ कुम्हड़ा होता है. कुम्हड़ा वो फल है, जिससे पेठा बनता है. इसी कारण माता को कुम्हड़ा की बलि देना शुभ माना जाता है. यह भी मान्यता है कि मां कूष्मांडा को दही और हलवा अति प्रिय है. जो भक्त मां को इन चीजों का भोग लगाते हैं. उनपर मां की कृपा सदेव बनी रहती है. ऐसा कहा जाता है कि मां कूष्मांडा को मालपुआ बहुत पसंद है. इसलिए मां को प्रसन्न करने के लिए मालपुआ का भोग लगाना चाहिए. साथ ही मां को हरी ईलाइची और सौंफ भी चढ़ा सकते हैं. पूजा करने के बाद आप मालपुआ प्रसाद को ब्राह्मण को दान कर सकते हैं. ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है.
देवी कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी। मुझ पर दया करो महारानी॥ पिंगला ज्वालामुखी निराली।शाकंभरी मां भोली भाली॥ लाखों नाम निराले तेरे भक्त कई मतवाले तेरे॥ भीमा पर्वत पर है डेरा।स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥ सबकी सुनती हो जगदम्बे। सुख पहुंचती हो मां अम्बे॥ तेरे दर्शन का मैं प्यासा। पूर्ण कर दो मेरी आशा॥ मां के मन में ममता भारी। क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥तेरे दर पर किया है डेरा। दूर करो मां संकट मेरा॥ मेरे कारज पूरे कर दो। मेरे तुम भंडारे भर दो॥ तेरा दास तुझे ही ध्याए। भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
इस मंत्र का करें जाप
- या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: - ‘ॐ कूष्मांडा देव्यै नमः’ का 108 बार जाप करें.
- आप चाहें तो सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.
सृष्टि की आदिशक्ति हैं मां कूष्मांडा
पौराणित कथा के अनुसार, जब दुनिया नहीं थी, तब इसी देवी ने अपने हास्य से ब्रह्मांड की रचना की. इसीलिए इन्हें सृष्टि की आदिशक्ति कहा गया. मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं. इसलिए इन्हें अष्टभुजा देवी भी कहते हैं. इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा होता है. वहीं आठवें हाथ में जपमाला रहता है. मां कूष्मांडा सिंह की सवारी करती हैं. संस्कृत भाषा में कूष्मांडा को कुम्हड़ कहते हैं.
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