मुंडा समुदाय की संस्कृति विकराल हैः मधु मंसुरी
Ranchi: तमाड़ स्थित कासम बुरूडीह गांव में बुरू महोत्सव का आयोजन किया गया. सिंगबोंगा की पूजा अर्चना की गई. इसमें आसपास के गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए. मुख्य अतिथि पद्मश्री मधु मंसुरी, लेखक मसी जेमा, सिंहभूम से समाजसेवी गुली चंद्र मुंडारी और क्षेत्रीय कासम बुरूडीह इस्टेट के जमींदार भोला नाथ सिंह मुंडा शामिल हुए. […]
Ranchi: तमाड़ स्थित कासम बुरूडीह गांव में बुरू महोत्सव का आयोजन किया गया. सिंगबोंगा की पूजा अर्चना की गई. इसमें आसपास के गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए. मुख्य अतिथि पद्मश्री मधु मंसुरी, लेखक मसी जेमा, सिंहभूम से समाजसेवी गुली चंद्र मुंडारी और क्षेत्रीय कासम बुरूडीह इस्टेट के जमींदार भोला नाथ सिंह मुंडा शामिल हुए. महोत्सव में लोगों के बीच कंबल, स्वेटर, धोती व साड़ी समेत गर्म कपड़े बांटे गए. इस अवसर पर मधु मंसुरी ने कहा कि मुंडा जनजाति की संस्कृति विकराल है. इसे संजोगकर रखना चुनोती है. युवा पीढ़ी को अखरा बचाने के लिए आगे आना होगा, तभी झारखंड का अखरा बचेगा.
भोला ने कहा कि राज्य भगवान बिरसा मुंडा के उलगुलाल से बना है. उनके कदमो पर चलने की जरूरत है. भोला नाथ सिंह मुंडा ने कहा कि आदिवासी मुंडा समुदाय शुरू से छोटानागपुर का प्रथम नागरिक है. ये राज्य का प्रधान वाला समुदाय है. इसकी अपनी भाषा औऱ संस्कृति है. इनकी हर गीत में वीर गाथा प्रेरित करता है. जो भगवान बिरसा मुंडा, गया मुंडा, जयपाल सिंह मुंडा औऱ मदरा मुंडा का इतिहास को बताने का काम करता है. इनकी लय, ताल औऱ नृय में एक वीर गाथा देखने को मिलता है. मौके पर सुंदर टूटी, सुनुवा मुंडा, बुधराम मुंडा समेत अन्य शामिल थे.
इसे भी पढ़ें – धक्का-मुक्की कांड पर सियासत गरमायी, BJP महिला सांसद बोलीं-जब राहुल क.. आये तो मैं असहज हो गयी
What's Your Reaction?