मेरी क्रिएटिविटी खत्म हो चुकी थी…अश्विन ने संन्यास के पीछे की वजह का किया खुलासा
LagatarDesk : भारतीय क्रिकेट के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अस्विन ने हाल ही में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था. इसके बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी को बीच में ही छोड़कर घर लौट गये थे. इस फैसले के बाद कई तरह की कयासें लगायी गयी. मीडिया में अश्विन, रोहित और हेड कोच गौतम गंभीर […]

LagatarDesk : भारतीय क्रिकेट के दिग्गज स्पिनर रविचंद्रन अस्विन ने हाल ही में इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया था. इसके बाद बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी को बीच में ही छोड़कर घर लौट गये थे. इस फैसले के बाद कई तरह की कयासें लगायी गयी. मीडिया में अश्विन, रोहित और हेड कोच गौतम गंभीर के बीच विवाद की खबरें भी सामने आयी. करीब एक माह बाद रविचंद्रन अस्विन ने अपने यूट्यूब चैनल ‘ऐश की बात’ पर अपने संन्यास के पीछे की वजह का खुलासा किया है.
मेरी क्रिएटिविटी खत्म हो चुकी थी, इसलिए लिया ये फैसला
अश्विन ने अपने संन्यास का कारण बताते हुए कहा कि मैं अक्सर यह सोचता हूं कि जीवन में आगे क्या करना है आपको समझना होगा कि ये सब अपने आप होता है. अगर किसी को यह लगने लगे कि उसका काम पूरा हो गया है, तो ऐसे ख्याल आना स्वाभाविक है. जब यह विचार मन में आ जाते हैं, तो फिर कुछ सोचने का कोई मतलब नहीं रह जाता. मैं कुछ क्रिएटिव करने की नहीं सोच पा रहा था. मुझे लगा कि मेरी क्रिएटिविटी खत्म हो चुकी है. इसलिए मैंने संन्यास लेने का फैसला किया.
शायद अगले मैच में खेल सकता था…
अश्विन ने फेयरवेल टेस्ट न मिलने के सवालों का भी जवाब दिया है. उन्होंने कहा कि अगर फेयरवेल टेस्ट नहीं मिला, तो इससे क्या फर्क पड़ता है? क्या मैं सिर्फ फेयरवेल के लिए टीम में रहूं? मुझे यह पसंद नहीं है और न ही मैं ऐसा चाहता हूं. आगे कहा कि लोगों ने इस बारे में बहुत कुछ कहा, लेकिन मेरे लिए यह इतनी बड़ी बात नहीं थी. मैंने पहले मैच में नहीं खेला, दूसरे में खेला, फिर तीसरे में बाहर हो गया. ऐसा हो सकता था कि मैं अगले मैच में खेलूं.
क्रिकेट खेल सकता था, लेकिन टीम में उनकी जगह नहीं थी
अश्विन ने बताया कि वह अभी भी क्रिकेट खेल सकते थे, लेकिन टीम में उनकी जगह नहीं थी. उन्होंने कहा कि मेरे अंदर अभी भी क्रिकेट की भावना है, जिसे मैं आगे बढ़ाना चाहता हूं, लेकिन इंडियन ड्रेसिंग रूम से नहीं, बल्कि कहीं और से. मैं और खेल सकता था, लेकिन संन्यास लेना तब बेहतर होता है जब लोग पूछें, ‘क्यों?’ न कि जब वे कहें, ‘क्यों नहीं?'”
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