रांची : पेसा कानून के समर्थन में मिलकर आंदोलन छेड़ने का संकल्प
Ranchi : रांची के पुरूलिया रोड स्थित समाज विकास केंद्र में शुक्रवार को पेसा कानून 1996 व झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 (जेपीआरए) पर संगोष्ठी हुई. संगोष्ठी में विशेषज्ञों, इतिहासकारों, कानूनविदों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. सबसे पहले मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को 122वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई. वक्ताओ ने जेपीआरए 2001 […]
Ranchi : रांची के पुरूलिया रोड स्थित समाज विकास केंद्र में शुक्रवार को पेसा कानून 1996 व झारखंड पंचायत राज अधिनियम 2001 (जेपीआरए) पर संगोष्ठी हुई. संगोष्ठी में विशेषज्ञों, इतिहासकारों, कानूनविदों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाग लिया. सबसे पहले मरंग गोमके जयपाल सिंह मुंडा को 122वीं जयंती पर श्रद्धांजलि दी गई. वक्ताओ ने जेपीआरए 2001 का विरोध किया. साथ ही पेसा कानून के समर्थन में विभिन्न समूहों व संगठनो को एकजुटकर आदोंलन करने का संकल्प लिया.
डॉ. जोसेफ बाड़ा ने जयपाल सिंह मुंडा के संघर्षों पर प्रकाश डाला, विशेषकर संविधान सभा में उनके द्वारा उठाए गए आदिवासी मुद्दों की चर्चा की. कहा कि जयपाल सिंह मुंडा आदिवासियों की आवाज थे. डॉ. राम चंद्र उरांव ने पेसा कानून व जेपीआरए 2001 के प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा की. कहा कि पेसा कानून विशेष रूप से अनुसूचित क्षेत्रों के लिए बनाया गया है. जबकि जेपीआरए 2001 सामान्य क्षेत्रों के लिए है. ऐसे में विशेष कानून के होते हुए सामान्य कानून को लागू नहीं किया जा सकता.
सामाजिक कार्यकर्ता ग्लैडसन डुंगडुंग पूर्व अधिकारी और याचिकाकर्ता रॉबर्ट मिंज, सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मीनारायण मुंडा, विक्टर मालतो, कलावती खड़िया और दुर्गावती ओड़ेया ने भी विचार व्यक्त किए. रेजन गुड़िया ने सरकार की लैंड बैंक योजना और गैर-आदिवासियों द्वारा आदिवासी क्षेत्रों पर कब्जे के मुद्दे पर प्रकाश डाला.
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