राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में हुआ व्याख्यान

Ranchi : रांची के राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (NUSRL) ने जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य” था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. […] The post राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में हुआ व्याख्यान appeared first on lagatar.in.

Sep 1, 2024 - 17:30
 0  1
राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में हुआ व्याख्यान

Ranchi : रांची के राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय (NUSRL) ने जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में एक विशेष व्याख्यान का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का मुख्य विषय “केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य” था. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने इस आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की. कार्यक्रम की शुरुआत में झारखंड हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रोंगोन मुखोपाध्याय ने जस्टिस एसबी सिन्हा को श्रद्धांजलि अर्पित की. इसके बाद दीप प्रज्वलन के साथ औपचारिक शुरुआत की गई. कुलपति डॉ. अशोक आर पाटिल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और जस्टिस एसबी सिन्हा के योगदान को याद करने का अवसर बताया.
मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई ने अपने व्याख्यान में जस्टिस एसबी सिन्हा के न्यायिक योगदान को विस्तार से प्रस्तुत किया. उन्होंने बताया कि जस्टिस सिन्हा ने कानून के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उनके फैसले 2000 से 2009 तक के लॉ जर्नल्स में प्रमुख स्थान पर थे. न्यायमूर्ति गवई ने जस्टिस सिन्हा की कार्यशैली की तारीफ की, उन्हें अत्यंत मेहनती और समर्पित बताते हुए कहा कि वे कई स्टेनोग्राफरों से काम लेते हुए कई महत्वपूर्ण फैसले लिखवाते थे और सेवानिवृत्ति के बाद भी सक्रिय रहे.

इसे भी पढ़ें –नीतीश कुमार के साथ काम करना सौभाग्य की बातः श्याम रजक

मौलिक अधिकारों की रक्षा के महत्व पर दिया गया जोर

इस कार्यक्रम में जस्टिस गवई ने “केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य” मामले को संविधान के विकास में अहम बताते हुए मौलिक अधिकारों की रक्षा के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने संविधान की मूल संरचना में किसी भी परिवर्तन की असंभवता पर भी प्रकाश डाला. इसके अलावा इंदिरा गांधी और मेनका गांधी के मामलों में न्यायिक फैसलों का उल्लेख किया, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव और विदेश यात्रा के संवैधानिक अधिकार को स्थापित करते हैं.
न्यायमूर्ति गवई ने मौलिक अधिकारों को संविधान की आत्मा बताते हुए कहा कि ये अधिकार सम्मानपूर्ण जीवन जीने और सामाजिक-आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्वच्छ वायु, जल और बेहतर पर्यावरण की आवश्यकता और सामाजिक-आर्थिक विकास का महत्व भी बताया. कार्यक्रम के दौरान, न्यायमूर्ति गवई ने जस्टिस एसबी सिन्हा के साथ अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा किया और उन्हें एक आदर्श व्यक्तित्व बताया, जो हमेशा जूनियर जजों की मदद करते थे और निरंतर सीखने की प्रेरणा देते थे.

कार्यक्रम का समापन अस्सिस्टेंट रजिस्ट्रार डॉ. जीसु केतन पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया. उन्होंने इस आयोजन को गौरवपूर्ण बताते हुए सभी उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों, विशेषकर न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का आभार व्यक्त किया.
इस आयोजन ने जस्टिस एसबी सिन्हा के न्यायिक योगदान और उनके व्यक्तित्व को याद करने का एक सार्थक प्रयास किया. इससे भारतीय संविधान, मौलिक अधिकारों और न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला गया. यह कार्यक्रम छात्रों, कानूनी पेशेवरों और आम जनता को भारतीय न्यायिक प्रणाली की समृद्ध परंपरा और उसके महत्व को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है.
इसे भी पढ़ें –रांची : जेल से बाहर निकले दो युवकों के बीच चाकूबाजी, आधे घंटे के भीतर पुलिस ने दबोचा

The post राष्ट्रीय विधि अध्ययन एवं अनुसंधान विश्वविद्यालय में जस्टिस एसबी सिन्हा की स्मृति में हुआ व्याख्यान appeared first on lagatar.in.

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow