राहुल गांधी-प्रियंका गांधी ने अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से वायनाड चुनाव जीता : CPI(M)
NewDelhi : राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर CPI(M) पोलित ब्यूरो के सदस्य ए विजयराघवन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से वायनाड चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने पूछा कि क्या मुस्लिम सांप्रदायिक गठबंधन के मजबूत समर्थन के बिना राहुल गांधी यहां से चुनाव जीत सकते थे? विजयराघवन […]
NewDelhi : राहुल गांधी और प्रियंका गांधी पर CPI(M) पोलित ब्यूरो के सदस्य ए विजयराघवन ने आरोप लगाया है कि उन्होंने अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताकतों के समर्थन से वायनाड चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. उन्होंने पूछा कि क्या मुस्लिम सांप्रदायिक गठबंधन के मजबूत समर्थन के बिना राहुल गांधी यहां से चुनाव जीत सकते थे? विजयराघवन वायनाड के बाथरी में सीपीआईएम वायनाड पार्टी के सम्मेलन में यह बात कही,
क्या मुस्लिम सांप्रदायिक गठबंधन के मजबूत समर्थन के बिना वे जीत सकते थे?
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि अब वायनाड से राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दो लोग जीते हैं.. उन्होंने सवाल दागा, राहुल गांधी किसके समर्थन से दिल्ली(संसद) पहुंचे? पूछा कि क्या मुस्लिम सांप्रदायिक गठबंधन के मजबूत समर्थन के बिना वे जीत सकते थे? वे विपक्ष के नेता हैं, वे कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं. कहा कि प्रियंका गांधी ने भी यहां से चुनाव लड़ा. उनकी रैलियों के दौरान आगे-पीछे कौन लोग चल रहे थे? इसका जवाब खुद दिया. वे अल्पसंख्यक सांप्रदायिक ताकतों के सबसे चरमपंथी तत्व थे. विजयराघवन ने याद दिलाया, जब ईएमएस (केरल के पहले सीएम) पहले चुनाव लड़ रहे थे, तो केंद्रीय मंत्री उन्हें हराने के लिए यहां आये थे.
कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने दिया जवाब
CPI(M) पोलित ब्यूरो के सदस्य विजयराघवन की टिप्पणी पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने पलटवार करते हुए कहा कि जब अमित शाह ने आंबेडकर का अपमान किया था, तो सबसे पहले पिनाराई विजयन को इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी, लेकिन उनकी पार्टी के पोलित ब्यूरो के सदस्य इस तरह का बयान दे रहे हैं. याद करें कि केरल के मुख्यमंत्री और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के वरिष्ठ नेता पिनाराई विजयन ने दावा किया था कि प्रियंका गांधी जमात-ए-इस्लामी जैसे संगठन के समर्थन से चुनाव लड़ रही हैं.
विजयन ने उस समय बयान दिया था, जब केरल में कांग्रेस और वामपंथी गठबंधन (एलडीएफ) के बीच राजनीतिक तनाव उफान पर था, उन्होंने कांग्रेस और जमात-ए-इस्लामी के बीच के संबंधों पर कठघरे में खडा किया था. कांग्रेस ने विजयन के बयान को खारिज करते हुए इसे पूरी तरह आधारहीन करार दिया था.
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