हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि मोदानी को क्लीन चिट मिल गयी : कांग्रेस

NewDelhi :  कांग्रेस ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का यह मतलब नहीं है कि मोदानी को क्लीन चिट मिल गयी है. इस संबंध में कांग्रेस महासचिव (संचार) जय राम रमेश ने कहा कि जनवरी 2023 में सामने आयी हिंडनबर्ग रिपोर्ट इतनी गंभीर साबित हुई थी कि भारत के सुप्रीम कोर्ट को  अडानी […]

Jan 17, 2025 - 05:30
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हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का मतलब यह नहीं है कि मोदानी को क्लीन चिट मिल गयी  : कांग्रेस

NewDelhi :  कांग्रेस ने कहा कि हिंडनबर्ग रिसर्च के बंद होने का यह मतलब नहीं है कि मोदानी को क्लीन चिट मिल गयी है. इस संबंध में कांग्रेस महासचिव (संचार) जय राम रमेश ने कहा कि जनवरी 2023 में सामने आयी हिंडनबर्ग रिपोर्ट इतनी गंभीर साबित हुई थी कि भारत के सुप्रीम कोर्ट को  अडानी ग्रुप के खिलाफ़ सामने आये आरोपों की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करने के लिए विवश होना पड़ा था.  कांग्रेस ने आज इससे संबंधित वक्तव्य जारी किया है.

हम अडानी के है कौन (HAHK) सीरीज के तहत प्रधानमंत्री से 100 सवाल पूछे थे

जयराम रमेश ने अपने वक्तव्य में  कहा कि  हिंडनबर्ग रिपोर्ट में मोदानी महाघोटाले के केवल एक हिस्से प्रतिभूति कानूनों के उल्लंघन को ही कवर किया गया था. जनवरी-मार्च 2023 के दौरान अडानी महाघोटाले को लेकर कांग्रेस पार्टी ने हम अडानी के है कौन (HAHK) सीरीज के तहत प्रधानमंत्री से 100 सवाल पूछे थे इनमें से केवल 21 सवाल ही हिंडनबर्ग रिपोर्ट में किए गए खुलासों से संबंधित थे.

राष्ट्रीय हित की कीमत पर प्रधानमंत्री के करीबी मित्रों को समृद्ध किया गया

जयराम रमेश ने कहा कि यह मामला और भी ज्यादा गंभीर है. इसमे राष्ट्रीय हित की कीमत पर प्रधानमंत्री के करीबी मित्रों को और समृद्ध करने के लिए भारत की विदेश नीति का दुरुपयोग शामिल है. इसमें भारत के व्यवसायियों को अपनी महत्वपूर्ण संपतियों को बेचने के लिए मजबूर करने और अडानी को हवाई अड्‌डों, बंदरगाहों, रक्षा एवं सीमेंट जैसे क्षेत्रों में एकाधिकार बनाने में मदद करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग शामिल है.

SEBI जैसे संस्थानों पर कब्जा किये जाने का मु‌द्दा शामिल है

SEBI, जिसे कभी बेहद सम्मान की दृष्टि से देखा जाता था जैसे संस्थानों पर कब्जा किये जाने का मु‌द्दा शामिल है. जिसकी चेयरपर्सन अडानी के साथ हितों के टकराव और वित्तीय संबंधों के स्पष्ट सबूत होने के बावजूद अपने पद पर बनी हुई हैं. यह समझने वाली बात है कि SEBI की जांच, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रिपोर्ट पेश करने के लिए दो महीने का समय दिया था, आसानी से लगभग दो साल तक खिंच गई और इसका कोई अंत नहीं दिख रहा है.

अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर रिश्वत देने का आरोप लगाया है 

जयराम रमेश ने कहा कि मोदानी भले ही भारत की संस्थाओं पर कब्जा कर सकता है और उसने किया भी है. लेकिन देश के बाहर उजागर हुई आपराधिक गतिविधियों को इस तरह से नहीं छुपाया ज सकता. अमेरिकी न्याय विभाग ने अडानी पर बेहद लाभ वाले सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए भारत के अधिकारियों को रिश्वत देने का आरोप लगाया है.

2021 और 2023 के बीच भारत से 212,000 करोड़ की हेराफेरी की गयी

जयराम रमेश ने कहा, अडानी द्वारा इंडोनेशिया से आयातित कोयले की ओवर-इनवॉइसिंग के स्पष्ट सबूत सामने आये हैं, जिसकी कीमत भेजे जाने और गुजरात के मुंद्रा पर पहुंचने के बीच रहस्यमई ढंग से 52 फीसदी बढ़ी हुई मिली.  जांच में पाया गया है कि अडानी से जुडी ट्रेडिंग फर्मी के माध्यम से 2021 और 2023 के बीच भारत से 212,000 करोड़ की हेराफेरी की गयी.

यह सब कुल मिलाकर 20,000 करोड के अपारदर्शी फंड्स का इस्तेमाल चांग और अहली ने शेल कंपनियों के नेटवर्क से अडानी ग्रुप की कंपनियों में बेनामी हिस्सेदारी हासिल करने के लिए किया. जब ओवर-इनवॉयसिंग की जा रही थी तब गुजरात में अडानी पावर से खरीदी गयी बिजली की कीमतें 102फीसदी बढ़ गयी

जांच केवल संयुक्त संसदीय समिति द्वारा ही की जा सकती है

ये सभी मित्र पूंजीवाद से जुड़े गंभीर अपराधिक कृत्य है जिनकी पूरी तरह से जांच केवल संयुक्त संसदीय समिति (  द्वारा ही की जा सकती है. JPC के बिना, पूरी तरह से कैप्चर की जा चुकी भारतीय राज्य की संस्थाएं केवल शक्तिशाली लोगों और प्रधानमंत्री के करीबियों की रक्षा के लिए काम करेंगी, भारत के गरीब और मध्यम वर्ग को उनके हाल पर छोड़ दिया जायेगा.

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