EXCLUSIVE: उत्पाद विभाग सिपाही नियुक्ति मामला: क्या बिना चिप ( RFAID) लगाये पारदर्शी तरीके से हो पायेगी अभ्यर्थियों की दौड़…
Saurav Singh Ranchi: झारखंड में उत्पाद विभाग के सिपाहियों की बहाली की तैयारी शुरू हो गई. इसको लेकर रविवार( 14 जुलाई )को झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा इस बहाली के लिए नियुक्त किये गये अध्यक्ष और मेंबर के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में बिना आरएफआईडी लगाये अभ्यर्थियों की दस किलोमीटर दौड़ कराने पर जोर […]
Saurav Singh
Ranchi: झारखंड में उत्पाद विभाग के सिपाहियों की बहाली की तैयारी शुरू हो गई. इसको लेकर रविवार( 14 जुलाई )को झारखंड पुलिस मुख्यालय के द्वारा इस बहाली के लिए नियुक्त किये गये अध्यक्ष और मेंबर के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में बिना आरएफआईडी लगाये अभ्यर्थियों की दस किलोमीटर दौड़ कराने पर जोर दिया गया. ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या बिना आरएफआईडी लगाये अभ्यर्थियों की दौड़ पारदर्शी तरीके से सफल हो पायेगी?
दौड़ के समय प्रत्येक अभ्यर्थी के शरीर पर इसे लगाया जाता है
रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग में इलेक्ट्रो मैग्नेटिक चिप व छोटी रेडियो ट्रांसपोंडर लगी होती है. यह किसी मैराथन दौड़ के दौरान ट्रांसमिशन डाटा रिसीव करने वाली मशीन से जुड़ी रहती है. टैग ऑन करने पर यह हर मूवमेंट पर नजर रखती है. दौड़ के समय प्रत्येक अभ्यर्थी के शरीर पर इसे लगाया जाता है, जिस वजह से हर मूवमेंट पर नजर रखी जाती है. इसके नहीं लगाने से अभ्यर्थियों ने कितनी दौड़ पूरी की या कोई अभ्यर्थी लाइन के बीच में घुसकर दौड़ने लगा, ऐसे गतिवधि पर नजर रखना संभव नहीं हो पाटेगा. जानकारी के मुताबिक, उत्पाद सिपाही के 583 पदों के लिए पांच लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने फार्म भरे है. शारीरिक परीक्षा के लिए 50- 50 हजार के अभ्यर्थियों पर एक बोर्ड बनाया गया है, जो शारीरिक परीक्षा लेगा.
एजेंसी का चयन नहीं हो पाया
झारखंड में उत्पाद विभाग के सिपाहियों की बहाली छह माह से रेडियो फ्रिक्वेंसी आईडेंटिफिकेशन (आरएफआईडी) टैग उपलब्ध कराने वाली एजेंसी का चयन नहीं होने के चलते रुकी हुई है. सिपाहियों की शारीरिक परीक्षा में 10 किमी की दौड़ होनी है. इस दौरान हर अभ्यर्थी की बांह पर एक खास किस्म का टैग लगाया जाता है, जिसे आरएफआईडी कहते हैं. इसी के जरिये दौड़ में हर व्यक्ति की मॉनिटरिंग होती है. लेकिन झारखंड पुलिस मुख्यालय स्तर पर दो बार टैग देने वाली एजेंसी के चयन का टेंडर पूरा नहीं हो सका. तीसरी बार भी टेंडर प्रक्रिया की देरी से बहाली टल गयी है. बताया गया कि दो बार सिंगल बीडर आने से एजेंसी का चयन नहीं हुआ, लेकिन तीसरी बार टेंडर निकलने के बाद एजेंसी के चयन में बाधाएं आ रही हैं.
What's Your Reaction?