Kiriburu : खदानें बंद कर रोजगार छीनने वाली हेमंत सरकार निकम्मी है – मधु कोड़ा
पूर्व मुख्यमंत्री ने सारंडा के गांवों में खदान खोलो अभियान यात्रा निकाली कई गांवों के लोग बड़ी संख्या में हुए शामिल ग्रामीणों ने बुनियादी समस्याओं से कराया अवगत Kiriburu (Shailesh Singh) : पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने सोमवार को भी सारंडा के गांवों में खदान खोलो अभियान यात्रा निकाली. उन्होंने सारंडा व कोल्हान वन प्रमंडल की […] The post Kiriburu : खदानें बंद कर रोजगार छीनने वाली हेमंत सरकार निकम्मी है – मधु कोड़ा appeared first on lagatar.in.
- पूर्व मुख्यमंत्री ने सारंडा के गांवों में खदान खोलो अभियान यात्रा निकाली
- कई गांवों के लोग बड़ी संख्या में हुए शामिल
- ग्रामीणों ने बुनियादी समस्याओं से कराया अवगत
Kiriburu (Shailesh Singh) : पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा ने सोमवार को भी सारंडा के गांवों में खदान खोलो अभियान यात्रा निकाली. उन्होंने सारंडा व कोल्हान वन प्रमंडल की सभी बंद खदानों को खोलने, वनाधिकार पट्टा से वंचित लोगों को वनाधिकार पट्टा सरकार से देने की मांग को लेकर नक्सल प्रभावित सारंडा के गांवों में जनसम्पर्क अभियान चलाया. मधु कोड़ा ने करमपदा, नवागांव, भनगांव, बंकर, किरीबुरु, मेघाहातुबुरु का दौरा किया. वर्षा के बावजूद दौरा के क्रम में ग्रामीणों की भारी भीड़ देखी गई. ग्रामीणों ने अपने-अपने गांवों की बुनियादी समस्याओं से अवगत कराया. इस क्रम में मधु कोड़ा ने बीएमएस के लोगों के साथ भी बैठक की. उन्होंने कहा कि सारंडा में खनिज का अकूत भंडार होने के बावजूद यहां के लोग बेरोजगारी, पलायन, दूषित लाल पानी पीने को मजबूर हैं. वर्तमान सरकार सारंडा की 40 खदानों को एक साजिश के तहत वर्षों से बंद रखी हुई है, ताकि यहां के ग्रामीण व बेरोजगार आगे नहीं बढ़ सकें. ग्रामीणों को अपने परिवार का पालन-पोषण करना काफी मुश्किल हो गया है. हेमन्त सरकार ने लाखों पदों पर नियुक्ति निकाल कर नौकरी देने की बात कही थी, पर एक प्रतिशत लोगों को भी नौकरी नहीं दी है और न ही बेरोजगारी भत्ता दिया है. खदान खोलो अभियान यात्रा के अंतिम दिन 28 अगस्त को बड़ाजामदा में रैली एवं विशाल आमसभा में शामिल होने के लिये उन्होंने ग्रामीणों को निमंत्रण दिया.
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वन पट्टा देने के लिए कानून बनाया लेकिन दिया नहीं
मधु कोड़ा ने कहा कि सारंडा में आदिवासी एवं अन्य समुदाय सदियों से निवास कर रहे हैं. इनकी संख्या काफी है. इन क्षेत्रों के निवासी वन भूमि और वनोत्पाद पर पूरी तरह से निर्भर हैं. आय इतनी कि महीना के अंत में दुकानों में कर्ज हो जाता है. बकरियां बेचकर जैसे-तैसे कर्ज चुका पाते हैं. सारंडा के आदिवासी जंगल और जमीन पर अधिकार के लिए सदियों से लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. केन्द्र सरकार ने वन क्षेत्रों में रह रहे आदिवासी एवं अन्य गरीब लोगों को वन अधिकार अधिनियम के तहत वनपट्टा देने के लिए कानून बनाया. हेमन्त सरकार द्वारा वनक्षेत्रों के निवासियों को आज तक वन पट्टा नहीं दिया गया. यहां की वर्तमान सांसद सह पूर्व मंत्री जोबा माझी भी हर साल वनपट्टा देने की बात कह सारंडा के ग्रामीणों को गुमराह कर वोट हासिल करती आ रही हैं.
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ग्रामीण धरना देकर सरकार की घंटी बजाएंगे
वनक्षेत्रों में रह रहे गरीब लोग बहुत उम्मीद के साथ व्यक्तिगत एवं सामुदायिक वनपट्टा लेने के लिए हजारों की संख्या में आवेदन हेमन्त सरकार के पास किया है, परन्तु आज तक उनके आवेदन पर कोई विचार नहीं किया गया. वनपट्टा हेतु तीन सितम्बर को नोवामुंडी, चार सितम्बर को मनोहरपुर, पांच सितम्बर को जगन्नाथपुर, छह सितम्बर को गोईलकेरा एवं सात सितम्बर को टोन्टो प्रखंड कार्यालय में धरना-प्रदर्शन किया जायेगा. इसमें सारंडा एवं कोल्हान वन क्षेत्र के गांवों से हजारों की संख्या में ग्रामीण शामिल होकर सरकार की घंटी बजायेंगे. इस दौरान सारंडा मंडल अध्यक्ष मधुसुदन तुबिद, राजेश मुंडा, चन्द्रराम मुंडा, देवधारी कुमार, संजीव राय, राजकुमार गुप्ता, कीनुराम मुंडा, अफताब आलम, प्रफुल्ल मंडल, सोनाराम गोप, श्याम गुप्ता, अरविन्द लाल, दामू मुर्मू, वीरेन्द्र मिश्रा, सोमा नाग, चंदा देवी, आशना बिरुवा आदि मौजूद थे.
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