कर्नाटक सरकार की इजाजत के बिना सीबीआई अब राज्य में जांच नहीं कर सकती, सहमति वापस
विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा नीत NDA सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है Bengaluru : कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार द्वारा राज्य में सीबीआई को जांच के लिए दी गयी सामान्य सहमति वापस ले लिये जाने की खबर है. कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा है […] The post कर्नाटक सरकार की इजाजत के बिना सीबीआई अब राज्य में जांच नहीं कर सकती, सहमति वापस appeared first on lagatar.in.
विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा नीत NDA सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है
Bengaluru : कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार द्वारा राज्य में सीबीआई को जांच के लिए दी गयी सामान्य सहमति वापस ले लिये जाने की खबर है. कानून मंत्री एचके पाटिल ने कहा है कि अब केंद्रीय जांच एजेंसी बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर्नाटक में प्रवेश नहीं कर सकेगी. हमने सहमति वापस ले ली है.
#WATCH | Bengaluru: Karnataka Law Minister HK Patil says, “Apart from that, the important decision we’ve taken today is that no communication like of explanation or a detail note shall go to Governor without cabinet and after our advice, the chief secretary can send it to… pic.twitter.com/S6qCJo0T7R
— ANI (@ANI) September 26, 2024
#WATCH | Bengaluru: On Karnataka govt withdrawing open consent for CBI investigation in the state, Congress MLA Dr Ranganath says, ” This is a welcoming gesture…CBI, IT and ED have become BJP’s agency so I feel it is a right decision” pic.twitter.com/GG54HI2II3
— ANI (@ANI) September 26, 2024
मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद कानून और संसदीय कार्य मंत्री एच के पाटिल ने कहा कि दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के तहत कर्नाटक राज्य में आपराधिक मामलों की जांच के लिए सीबीआई को सामान्य सहमति देने वाली अधिसूचना वापस ले ली गयी है. सहमति वापस लेने का कारण बताया कि सीबीआई या केंद्र सरकार अपने साधनों का उपयोग करते समय उनका विवेकपूर्ण उपयोग नहीं कर रही है. इस क्रम में कहा कि हमारी सरकार मामले-दर-मामले सत्यापन करेगा. तभी सीबीआई जांच के लिए सहमति देंगे.
सीबीआई ने कई मामलों में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया
कहा कि हमने सामान्य सहमति वापस ले ली है. एचके पाटिल ने कहा, हमने सभी मामलों में सीबीआई का हवाला दिया है. सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल नहीं किया, कई मामले पड़े हैं. कहा कि सीबीआई ने हमारे द्वारा भेजे गये कई मामलों की जांच करने से भी इनकार कर दिया. वे पक्षपाती हैं, इसलिए हमने यह फैसला लिया. सफाई दी कि सरकार ने मुडा घोटाले के कारण यह फैसला नहीं लिया है. पाटिल के अनुसार राज्य सरकार ने जो मामले सीबीआई को दिये या एजेंसी ने अपने हाथ में लिये थे, उनमें से कई मामलो में आरोपपत्र दाखिल ही नहीं किये गये. उन्होंने(सीबीआई) आरोप-पत्र दायर करने से इनकार कर दिया. कहा कि सीबीआई ने कई खनन मामलों की जांच करने से इनकार कर दिया.
डीएसपीई अधिनियम की धारा-6 के तहत सीबीआई का गठन किया गया है
दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (डीएसपीई) अधिनियम, 1946 की धारा 6 के अनुसार, केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपने अधिकार क्षेत्र में जांच करने के लिए संबंधित राज्य सरकारों से सहमति लेनी होती है. डीएसपीई अधिनियम की धारा-6 के तहत सीबीआई का गठन किया गया है. इस प्रावधान के तहत, डीएसपीई का एक सदस्य यानी सीबीआई संबंधित राज्य सरकार की सहमति के बिना उस राज्य में अपनी शक्तियों और अधिकार क्षेत्र का प्रयोग नहीं कर सकती है. जान लें कि कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल केंद्रीय जांच एजेंसियों पर गंभीर आरोप लगाते रहे हैं.
NDA सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है
ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग सभी पर विपक्षी दल सवाल खड़े करते रहे हैं. विपक्षी दलों का आरोप है कि केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा नीत NDA सरकार केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है .वह इन एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्षी दलों और उनके नेताओं को फंसाने या के लिए कर रही है. कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि पंजाब, झारखंड, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मिजोरम, तेलंगाना, मेघालय और तमिलनाडु ने सामान्य सहमति वापस ले ली है.
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