पुलिस ऑफिसर गवाही से मुकरे, मिली बेल, बिहार में कार्रवाई का आदेश, झारखंड में कुछ नहीं
गवाही से मुकर वाले पुलिस ऑफिसर्स पर बिहार में कार्रवाई का आदेश, पर झारखंड में कुछ नहीं.. गवाही नहीं देने पर आरोपी को मिल जाती है बेल Saurav singh Ranchi : पुलिस अफसर के गवाही नहीं देने से कई लोगों को कोर्ट से बेल मिल जा रही है. सबसे बड़ी बात है कि झारखंड में […]

गवाही से मुकर वाले पुलिस ऑफिसर्स पर बिहार में कार्रवाई का आदेश, पर झारखंड में कुछ नहीं..
गवाही नहीं देने पर आरोपी को मिल जाती है बेल
Saurav singh
Ranchi : पुलिस अफसर के गवाही नहीं देने से कई लोगों को कोर्ट से बेल मिल जा रही है. सबसे बड़ी बात है कि झारखंड में ऐसे पुलिसकर्मियों पर कोई कार्रवाई तक नहीं होती है. वहीं दूसरी तरफ पिछले सप्ताह बिहार में गवाही से मुकरने वाले पुलिसकर्मियों और अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया है. सरकारी गवाहों के हॉस्टाइल (गवाही से मुकरने) होने पर अब उन के खिलाफ बर्खास्तगी की कार्रवाई होगी. बीते 20 दिसंबर को सूचना भवन के संवाद कक्ष में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में गृह विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी और डीजीपी विनय कुमार ने यह बात कही थी.
जानें कुछ ऐसे मामले, जिनमें गवाही देने से मुकर गये पुलिसकर्मी :
चर्चित ढेंगा गोलीकांड में गवाही बंद, सरकार अनुसंधानकर्ता व सूचक की नहीं करा पाई गवाही
हजारीबाग जिले के बड़कागांव के ढेंगा में 14 अगस्त, 2015 को हुए चर्चित गोलीकांड के मामले में रांची सिविल कोर्ट के एडीजे सात विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने गवाही बंद कर दी थी. मामले को लेकर बड़कागांव थाना कांड संख्या 167/15 दर्ज किया गया था, जिसमें पूर्व विधायक योगेंद्र साव, उनकी पत्नी निर्मला देवी सहित दर्जनों लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया था. सरकार की तरफ से केस के सूचक तत्कालीन एसडीओ अनुज प्रसाद, अनुसंधानकर्ता इंस्पेक्टर अवधेश सिंह और चिकित्सक के साथ तत्कालीन थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा की गवाही नहीं कराई जा सकी. कोर्ट द्वारा बार-बार गवाहों को बुलाये जाने के बावजूद सरकार ने गवाह पेश नहीं किये. इसके बाद कोर्ट ने गवाही बंद कर आगे की कार्यवाही करते हुए आरोपियों के बयान दर्ज कराने का आदेश दे दिया.
गवाही नहीं देने पर दुष्कर्म के आरोपी को मिल गयी बेल
रांची में अपर न्याययुक्त अमित शेखर की अदालत ने बीते 26 सितंबर 2024 को दुष्कर्म के बाद जगनी देवी नामक महिला की गला दबा कर हत्या करने के आरोपी महादेव दास को साक्ष्य के अभाव में रिहा कर दिया था. घटना जगन्नाथपुर थाना क्षेत्र में साल 2023 के अप्रैल माह में घटी थी. मामले के अनुसंधानकर्ता (आइओ ) दारोगा रामजी ने गवाही नहीं दी थी. जिस कारण आरोपी रिहा हो गया. दारोगा रामजी को अदालत ने कई बार गैर जमानती वारंट भी जारी किया, लेकिन वह गवाही देने नहीं पहुंचे थे.
तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट गवाही देने नहीं पहुंचे थे अदालत, आरोपी को मिल गयी बेल
पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को और एक मामले में साक्ष्य के अभाव में अदालत ने 15 जुलाई 2022 को बरी कर दिया था. रांची के अपर न्यायायुक्त विशाल श्रीवास्तव की अदालत ने योगेंद्र साव को बरी किया था. योगेंद्र साव पर जेल में रहते हुए मोबाइल का इस्तेमाल कर रंगदारी मांगने का आरोप था. इस मामले को लेकर हजारीबाग सदर थाना में 2017 में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी. ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से चार गवाहों को प्रस्तुत किया गया, लेकिन मामले के सूचक तत्कालीन जेल सुपरिटेंडेंट डॉ रूपम प्रसाद गवाही देने अदालत नहीं पहुंचे थे. उनको गवाही के लिए अदालत ने कई बार समन भेजा, लेकिन वह नहीं पहुंचे, जिसका लाभ योगेंद्र साव को मिला था.
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