बाहरी-भीतरी के मुद्दे से जूझ रहे त्रिपाठी, कालीचरण को अपनों से है खतरा

चतरा लोस : केएन त्रिपाठी को राजद, कांग्रेस व झामुमो के स्थानीय कार्यकर्ताओं का खुले मन से नहीं मिल रहा है समर्थन त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाये जाने से नाराज हैं राजद नेता-कार्यकर्ता सीटिंग एमपी का टिकट काट भाजपा ने कालीचरण को दिया है मौका Kaushal Anand  Ranchi : कभी भाजपा जिस मुद्दे से जूझ रही […]

May 13, 2024 - 17:30
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बाहरी-भीतरी के मुद्दे से जूझ रहे त्रिपाठी, कालीचरण को अपनों से है खतरा
बाहरी-भीतरी के मुद्दे से जूझ रहे त्रिपाठी, कालीचरण को अपनों से है खतरा

चतरा लोस : केएन त्रिपाठी को राजद, कांग्रेस झामुमो के स्थानीय कार्यकर्ताओं का खुले मन से नहीं मिल रहा है समर्थन

  • त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाये जाने से नाराज हैं राजद नेता-कार्यकर्ता
  • सीटिंग एमपी का टिकट काट भाजपा ने कालीचरण को दिया है मौका

Kaushal Anand 

Ranchi : कभी भाजपा जिस मुद्दे से जूझ रही थी, उसी मुद्दे से पूर्व मंत्री और चतरा से कांग्रेस प्रत्याशी केएन त्रिपाठी को जूझना पड़ रहा है. जिस दिन से केएन त्रिपाठी को कांग्रेस ने प्रत्याशी बनाया गया, उसी दिन से उनकी मुसीबत शुरू हो गयी है. उन्हें चतरा में ‘बाहरी-भीतरी’ के मुद्दे से रू-ब-रू होना पड़ रहा है. डालटनगंज निवासी केएन त्रिपाठी को चतरा से प्रत्याशी बनाये जाने पर सबसे अधिक नाराजगी राजद के नेता व कायकर्ताओं में है.

नाराजगी इस कदर है कि रांची में झामुमो द्वारा आयोजित उलगुलान न्याय महारैली के समापन पर त्रिपाठी और राजद समर्थकों के बीच जमकर मारपीट हो गई थी. किसी तरह पुलिस की मदद से दोनों गुट को समझा-बुझा कर झगड़ा को खत्म कराया गया था, नहीं तो रैली स्थल रणक्षेत्र बन जाता. हालांकि झामुमो ने इसे भाजपा की साजिश करार दिया था. बता दें कि चतरा सीट पर 25 मई को मतदान होना है. यहां से कुल 22 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं.

अपनों का साथ लेने में त्रिपाठी लगा रहे पूरी ताकत

केएन त्रिपाठी की मुसीबत केवल राजद ही नहीं है, बल्कि उनके अपने संगठन की जिला व स्थानीय इकाई भी है. स्थानीय कांग्रेस इकाई भी त्रिपाठी को बाहरी करार देते रहे हैं. हालांकि, बाद में प्रदेश नेतृत्व और खुद त्रिपाठी ने भी अपने संगठन के लोगों को समझाने और मिलकर काम करने का प्रयास किया. यही हाल झामुमो की लोकल इकाई का भी है. झामुमो भी त्रिपाठी को बाहरी प्रत्याशी मान रहा है. अब देखना है कि त्रिपाठी किस तरह से अपने संगठन, राजद और झामुमो की लोकल इकाई को अपने पाले में करते हैं.

भाजपा प्रत्याशी कालीचरण को भी भीतरघात का खतरा

दो बार के सीटिंग एमपी सुनील सिंह का टिकट काटकर भाजपा ने स्थानीय कालीचरण सिंह को चतरा सीट से प्रत्याशी बनाया है. मगर कालीचरण सिंह की राह इतनी आसान नहीं है. सुनील सिंह के विरोधी भले ही खुश हों, मगर एक सांसद होने के नाते सुनील सिंह की भी अच्छी पकड़ है. इसलिए, सुनील सिंह और उनके समर्थक कितने हद तक खुले मन से कालीचरण सिंह को अपना समर्थन दे पाएंगे, काम कर पाएंगे, यह तो मतदान के दिन ही पता चलेगा. मगर कालीचरण सिंह को भीतरघात का खतरा बना हुआ है.

सामान्य सीट में भूमिहार ब्राह्मण के बीच कड़ा मुकाबला

चतरा लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी कालीचरण सिंह भूमिहार जाति से आते हैं. भाजपा ने इस बार झारखंड में किसी भी लोकसभा सीट से राजपूत को नहीं उतारा है. ऊपर से राष्ट्रीय स्तर पर राजपूत जाति का भाजपा के प्रति गुस्सा अलग है. इसलिए इस मुद्दे से पार पाना कालीचरण सिंह के लिए आसान नहीं होगा. अगर कांग्रेस प्रत्याशी की बात करें, तो केएन त्रिपाठी ब्राह्मण जाति से आते हैं. इसलिए इस बार यहां का मुकाबला भूमिहार और ब्राह्मण जाति के बीच है. इन दोनाें में कौन बाजी मारता है, यह तो 4 जून को ही पता चलेगा.

एससीएसटी मुस्लिम वोटरों की भूमिका अहम

वैसे तो चतरा लोकसभा सामान्य श्रेणी की सीट है. मगर इस सीट पर जीत-हार का फैसला एसटी और एससी ही करते रहे हैं. 2019 के डेटा के अनुसार, चतरा में अनुसूचित जातियों का वोट 27.15% और 21.15% एसटी वोटर हैं. इसके अतिरिक्त 10.78% मुस्लिम वोटर भी निर्णायक भूमिका में होते हैं. यानी कि कुल वोटरों में 59.08% एसटी, एससी व मुस्लिम हैं. शेष करीब 40% मतदाता ओबीसी व सामान्य वर्ग से आते हैं.

चार बार भाजपा और तीन कांग्रेस को मिली है जीत

चतरा में 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुआ था. अब तक कुल 16 चुनाव व उपचुनाव हुए. इसमें चार-चार बार भाजपा और निर्दलीय विजयी रहे. वहीं कांग्रेस को तीन बार जीत नसीब हुई. इसके अलावा राजद व जनता दल दो-दो बार और जनता पार्टी एक बार विजयी रही.

छह विधानसभा पर किस राजनीतिक दल का कब्जा

विधानसभाराजनीतिक दल

सिमरिया (एससी) – भाजपा

चतरा (एससी) –      राजद

मनिका (एसटी) –   कांग्रेस

लातेहार (एससी) –  झामुमो

पांकी (सामान्य) –   भाजपा

2019 लोकसभा चुनाव का परिणाम

उम्मीदवार –          राजनीतिक दल –  परिणाम –     वोट

सुनील कुमार सिंह –    भाजपा –             विजेता        528,077

मनोज कुमार यादव –  कांग्रेस –             उपविजेता    1,50,206

सुभाष यादव –            राजद –             तीसरा स्थान    83425

2014 लोकसभा चुनाव का परिणाम

उम्मीदवार –            राजनीतिक दल –       परिणाम –        वोट

सुनील कुमार सिंह –        भाजपा –                विजेता –        2,95,862

धीरज प्रसाद साहू –         कांग्रेस –               उपविजेता –    1,17,836

नीलम देवी –                  झाविमो –              तीसरा स्थान – 1,04,176

1957 से लेकर 2019 तक कौन रहे विजेता

वर्ष –      विजेता –             राजनीतिक दल

1957 – विजया राजे – छोटा नागपुर संथाल परगना जनता पार्टी

1962 – विजया राजे – निर्दलीय

1967 – विजया राजे – निर्दलीय

1971 – शंकर दयाल सिंह – कांग्रेस

1977 – सुखदेव प्रसाद वर्मा – जनता पार्टी

1980 – रणजीत सिंह – कांग्रेस

1984 – योगेश्वर प्रसाद योगेश – कांग्रेस

1989 – उपेंद्र नाथ वर्मा – जनता दल

1991 – उपेंद्र नाथ वर्मा – जनता दल

1996 – धीरेंद्र अग्रवाल – भाजपा

1998 – धीरेंद्र अग्रवाल – भाजपा

1999 – नागमणि – राजद

2004 – धीरेंद्र अग्रवाल – राजद

2009 – इंदर सिंह नामधारी – निर्दलीय

2014 – सुनील कुमार सिंह – भाजपा

2019 – सुनील कुमार सिंह – भाजपा

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